जम्मू-ओ-कश्मीर में सिख तंज़ीमों ने आज रियासत में नैशनल माइनारिटीज़ ऐक्ट की तौसीअ(बदलाव) का मुतालिबा की हिमायत में पुरअमन एहतिजाज करने का फ़ैसला किया है।
ऑल पार्टीज़ सिख कुआर्डीनेशन कमेटी (ए पी एस सी सी) के सदर नशीन जगमोहन सिंह राना ने ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों से बात करते हुए बताया कि उन लोगों ने जम्मू-ओ-कश्मीर सिख धर्म युद्ध मोरचा के नाम से एक पुरअमन एहतिजाज करने का फ़ैसला किया है ताकि रियासत में नैशनल माइनारिटीज़ ऐक्ट पर अमल आवरी को यक़ीनी बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि हमारा सब से अहम मांग ये है कि नैशनल माइनारिटीज़ ऐक्ट को मौजूदा शक्ल में ही रियासत में तौसी दी जाये और रियासत के स्कूलों और कॉलेजस में पंजाबी असातिज़ा(शिक्षक) के तक़र्रात अमल में लाए जाये। उन्होंने दावा किया कि इस हवाले से उन्हों ने चीफ़ मिनिस्टर उमर अबदुल्लाह और साबिक़ वज़ीर-ए-क़ानून अली मुहम्मद साग़र से इस हवाले से कई बार मुलाक़ातें की हैं, ताहम हर बार उन्हें सिर्फ़ वाअदे और यकीन दिए गए हैं।
जबकि इस हवाले से अमली तौर पर ताहाल कुछ भी नहीं किया गया। सिख क़ाइद ने मज़ीद कहा कि वो ये समझने से क़ासिर हैं कि रियास्ती हुकूमत आख़िर इस ऐक्ट पर अमल आवरी करने से क्यों गुरेज़ कररही है जबकि मालिया का भी कोई मसला नहीं है। उनके मुताबिक़ इस काम के लिए तमाम फंड्स मर्कज़ से दिए जाते हैं जबकि रियास्ती हुकूमत का काम सिर्फ़ इस पर अमल आवरी करना है।
उन्होंने कहा कि अगर मौजूदा हुकूमत अपने वाअदे को और हमारे इस मांग को पूरा नहीं करती है तो सिख तबक़ा बरसरे-ए-इक़तिदार जमात को आने वाले एसेंबली इंतिख़ाबात में वोट नहीं देगा।