जम्मू-कश्मीर के वज़ीरो को पैसा देती है फौज

जम्मू-कश्मीर की हुकुमत को गैर मुस्तहकम बनाने की कोशिशों को लेकर लग रहे इल्ज़ामात के बीच साबिक फौजी सरबराह जनरल वीके सिंह ने कहा है कि रियासत के कुछ वज़ीरो को फौज रकम देती रही है। उन्होंने कहा कि कि यह तो आजादी के वक्त से चला आ रहा है।

एक अंग्रेजी न्यूज़ चैनल से बातचीत में वीके सिंह ने अपने ऊपर लग रहे इल्ज़ामात को झूठा करार दिया। उन्होंने कहा कि रियासत में इस्तेहकाम की वजुहात और मुख्तलिफ प्रोग्रामों के इंइकाद के लिए जम्मू-कश्मीर के सभी वज़ीरों को फौज रकम मुहैया कराती रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या सभी वज़ीरो को पैसा दिया जाता है? उन्होंने अपने बयान में तब्दीली करते हुए कहा, ‘हो सकता है कि सभी नहीं, लेकिन कुछ वुजराओ और लोगों को खास काम के लिए रकम दी जाती है।

अपने काम के दौरान में उम्र के तनाजे का सामना कर चुके जनरल वीके सिंह ने कहा कि कश्मीर एक अलग मसला है। यहां नौजवान और शहरियों से जुड़े बहुत काम करने होते हैं। इन सबके लिए पैसे की जरूरत पड़ती है। इन काकों के लिए यकीनी रकम दी जाती है। इसमें मसला कहां है।

वीके सिंह उन इल्ज़ामात का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि उनके तरफ से तश्कीलटेक्निकल सपोर्ट डिवीजन ने रियासती हुकूमत को गैर मुस्तहकम करने के लिए एक वज़ीर गुलाम हसन मीर को 1.19 करोड़ रुपये दिए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या किसी वज़ीर ने पैसा ले लिया और काम नहीं किया? उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता। जिम्मेदारी तय करने के लिए अमल है।

बकायदा रकम लेकर यह यकीन किया जाता है कि जो काम दिया गया है, वह पूरा हो। वीके सिंह यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। यह तो आजादी के वक्त से चला आ रहा है। जम्मू-कश्मीर में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो मुल्क के खिलाफ है। अगर हमें लगता है कि कुछ किया जा सकता है तभी फौज इसमें मुदाखिलत करती है।

एक दूसरे चैनल से बातचीत में उन्होंने फौजी सरबराह जनरल बिक्रम सिंह के खिलाफ पीआइएल दाखिल करने वाले एनजीओ से फौज के किसी तरह से ताल्लुक से इंकार कर दिया।

किसने क्या कहा:

‘कश्मीर प्रीमियर लीग को किसने फंड दिया? जम्मू-कश्मीर की हुकूमत ने या उमर अब्दुल्ला ने? इसे फौज ने फंड दिया था।’

– वीके सिंह

‘मुल्क और खासकर फौज के लिए यह अफसोसनाक और बदकिस्मती की बात है कि साबिक फौज के सरबराह इस तरह के बेबुनियाद बयान दे रहे हैं।’

– देवेंदर सिंह राना, नेशनल कांफ्रेंस के सूबाई सदर