जम्मू कश्मीर में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद, राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया और साथ ही कहा कि प्रदेश के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गयी है। राजभवन द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यह घोषणा की।
इससे कुछ ही घंटे पहले जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया था। मुफ्ती ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं।
With talks of an alliance ready to take shape in Jammu and Kashmir between the National Conference, Peoples Democratic Party and the Congress, Governor Satyapal Malik has issued an order to dissolve the state assembly
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— ANI Digital (@ani_digital) November 21, 2018
उन्होंने लिखा, ‘‘आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है।’’ 87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत है।
Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik has passed an order dissolving the state Legislative Assembly. pic.twitter.com/TirFfZfTCs
— ANI (@ANI) November 21, 2018
उधर, विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी भाजपा के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा बुधवार को पेश किया था।
लोन के अलावा उनकी पार्टी का एक और विधायक है। लोन ने राज्यपाल को एक संदेश भेज कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ों से अधिक विधायकों का समर्थन है।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में भगवा पार्टी द्वारा समर्थन वापस लिये जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था।
राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन 18 दिसम्बर को समाप्त होना था और इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगना था। राज्य विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर 2020 तक था।