जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों के लिए छुट्टियों पर घर लौटना जानलेवा साबित हो रहा है। आतंकी खासकर श्रीनगर के विभिन्न इलाकों से आने वाले जवानों को लगातार निशाना बना रहै हैं। छुट्टियों पर घर लौटने वाले जवान आसानी से उनके टारगेट बन जा रहे हैं।
इस साल आतंकी हमले में अबतक 40 जवान शहीद हो चुके हैं। यह संख्या 2017 की तुलना में दोगुनी है। हालात ऐसे हैं कि जवान डर की वजह से घर तक नहीं जा रहे हैं। रविवार को सब-इंस्पेक्टर इम्तियाज अहमद मीर का नाम इन 40 शहीदों की सूची में नया जुड़ गया है।
श्रीनगर में तैनात एक पुलिस ऑफिसर ने बताया कि वह ईद-उल-फितर में अपने घर पुलवामा गया था। अधिकारी के मुताबिक, ‘4 हथियारबंद आतंकी मेरे घर आए और घरवालों से कहा कि वह मुझे उनसे मिलने को कहें। सौभाग्य से मैं नजदीक के गांव में अपने दोस्त के पास गया था। मैं तुरंत बस से श्रीनगर लौट आया और तबसे घर नहीं गया हूं। मुझे अपने परिवार की चिंता है।’
जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान लगातार कठिन परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, लेकिन उनके साथियों पर हालिया हमलों ने उनके मनोबल को तोड़ने का काम किया है। उनके बीच डर फैल गया है। अब वे घर जाने से भी परहेज करने लगे हैं। इनमें से कुछ जवानों ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात की और कहा कि वे आतंकियों के आसान निशाना बन गए हैं।
हालांकि साउथ कश्मीर के सारे जवान तो ऐसी मांग कर ही नहीं सकते। इस साल बकरीद की शाम साउथ कश्मीर में इंस्पेक्टर मोहम्मद अशरफ डार को उनकी पत्नी और बेटी के सामने मौत के घाट उतार दिया गया। इसी दिन कुलगाम में कॉन्स्टेबल फैयाज अहमद शाह को आतंकियों ने तब मार डाला जब वह अपनी तीन साल की बेटी के लिए गिफ्ट खरीदने जा रहे थे। यह सिलसिला थमा नहीं और इसी दिन कॉन्स्टेबल मोहम्मद याकूब शाह को तब मारा गया जब वह अपने काम के सिलसिले में पुलवामा पुलिस लाइन में जा रहे थे।
इम्तियाज अहमद इस साल शहीद होने वाले 40वें जवान