जम्मू-कश्मीर: बातचीत का रास्ता अपना सकती है सरकार!

इस बार कश्‍मीर का दौरा करने के बाद से गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बोल बदले बदले से हैं। लोगों से मिलने और जमीनी हकीकत जानने के बाद उन्‍होंने वहां के लोगों खासकर युवाओं से नरमी से बातें की है। इस बार खुद को लोगों से कनेक्ट करते नजर आए।

अब इसे केंद्र के मौजूदा सख्त रणनीति में बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले पीएम मोदी ने भी कश्मीर का दौरा कर वहां युवाओं से नरमी के साथ कनेक्ट करने की कोशिश की थी। इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि केंद्र सरकार के बदले हुए रुख के पीछे वजह क्या है?

गृह मंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर गए। वहां पर स्‍थानीय लोगों से बातें की। बाशिंदों के बीच नए सिरे से रिश्ते शुरू करने का संकेत देने की कोशिश की। अपने दौरे में राजनाथ ने कश्मीरियत को काफी अहमियत दी। लेकिन ये सब क्‍यों हो रहा है इस बात के लेकर वहां की राजनी‍ति में रुचि रखने वाले लोग सवाल करने लगे हैं।

दरअसल केंद्र सरकार की सभी सख्तियों के बावजूद घाटी में सरकार को आतंकियों पर नियंत्रण रखने में आंशिक सफलता जरूर मिली लेकिन युवाओं के बीच नाराजगी बढ़ने की रिपोर्ट भी सामने आई।

गुमराह युवकों को भारत विरोधी अभियान में शामिल करने के लिए तमाम तरह के लालच दिए गए, नफरत की दीवार खड़ी करने की कोशिश की गई। इस तरह की रिपोर्टा सामने आने के बाद से ही केंद्र सरकार चिंतित दिखाई देने लगी है।

इस बार के दौरे के दौरान तमाम पक्षों से बात कर राजनाथ ने संकेत दिया कि अगर सकारात्मक रुख दिखता है तो वह खुले मन से बातचीत का रास्ता खोलने को तैयार हैं। सरकार ने रमजान के बाद भी संघर्ष विराम बढ़ाने के संकेत दिए।

वह भी तब जब सरकार की पहल के बाद भी वहां हिंसा रुकी नहीं है। स्‍थानीय लोगों का कहना है कि केंद्र के इस कदम का कितना असर होगा अभी यह कहना मुश्किल है लेकिन बातचीत के लिए बुनियाद खड़ी करना अभी सबसे पहले और प्राथमिक जरूरत है जिसे पूरा करते हुए राजनाथ नजर आए।