जम्मू-कश्मीर: माहौल खराब करने में युवा सबसे आगे, कौन भड़का रहा है इनको?

कश्मीर में भारत सरकार और भारतीय सेना कई मोर्चों पर लड़ रही है। एक तरफ तो घाटी में पत्थरबाज और आतंकी घटनाएं सेना के लिए चुनौती बनी हुई है तो वहीं बॉर्डर पर पाकिस्तान आर्मी भी आए दिन सीजफायर तोड़कर देश का माहौल खराब कर रही है।

इस बीच जम्मू-कश्मीर के युवाओं का आतंकवाद के प्रति बढ़ता रूझान भी सेना और सरकार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है और पिछले कुछ समय में तो युवाओं के आतंकी संगठनों में शामिल होने के कई मामले सामने आए हैं।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, 2018 में अभी तक घाटी के 130 स्थानीय युवा अलग-अलग आतंकी संगठनों में शामिल हो गए हैं। ये आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि साल 2010 के बाद ये नंबर सबसे ज्यादा हैं।

2017 में 126 स्थानीय युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे। अधिकारियों ने 2018 का ये आंकड़ा 31 जुलाई तक बनाया है। कश्मीर घाटी में पांच जिलों से 100 से ज्यादा युवक विभिन्न आतंकी समूह में शामिल हुए हैं।

वर्ष 2010 से 2013 तक यह आंकड़ा क्रमश: 54, 23, 21 और छह था। वर्ष 2014 में यह संख्या बढ़कर 53 हो गयी और 2015 में 66 तथा 2016 में यह 88 तक चली गयी। इसके अलावा ये भी जानकारी मिली है कि जिन 130 युवाओं ने इस साल आतंक की राह पकड़ी है, उनमें ज्यादातर अलकायदा में शामिल हुए।

जानकारी के मुताबिक, दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले से सबसे ज्यादा युवा आतंकवादी बन गए हैं। यहां के 35 युवा आतंकी संगठऩों में शामिल हो गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि कई युवा अंसार गजवत-उल-हिंद में शामिल हो रहे हैं।

यह समूह अलकायदा के समर्थन का दावा करता है और इसका नेतृत्व जाकिर रशीद भट उर्फ जाकिर मूसा करता है। वह पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र के एक गांव का रहने वाला है।

मूसा के बारे में अधिकारी बताते हैं कि उसने धीरे-धीरे घाटी में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अलगाववादियों नेताओं के दबदबे को कम किया है। मूसा का उसूल है कि जो कोई कश्मीर के मुद्दे को राजनीतिक बताएगा उसका सिर कलम कर दिया जाएगा। कश्मीर घाटी में सुरक्षा स्थिति पर नजर रखने वाले अधिकारियों का मानना है कि ‘शरीयत या शहादत’ के मूसा के नारे ने पाकिस्तान के समर्थन वाले वर्षों पुराने नारे की जगह ले ली है।

जाकिर मूसा के बारे में बताया जाता है कि उसने इंजिनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद 24 वर्षीय जाकिर मूसा ने युवाओं को आकर्षित किया है। वानी 2016 में मारा गया था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वह पढ़ाई के साथ ही खेल में भी अच्छा था और अंतरराज्यीय कैरम प्रतियोगिता में उसने राज्य का प्रतिनिधित्व किया था।

प्रतिबंधित आईएसआईएस से संबद्ध आईएसजेके को लेकर भी युवाओं में आकर्षण था लेकिन इसके प्रमुख दाऊद सोफी के मारे जाने के बाद अब समूह का कोई नामलेवा नहीं है।

सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने कहा कि शोपियां, पुलवामा, अनंतनाग, कुलगाम और अवंतीपुरा जिलों वाले सबसे अशांत दक्षिण कश्मीर में सबसे ज्यादा युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हो रहे हैं।