जम्मू-कश्मीर में CRPF के खिलाफ केस दर्ज, गाड़ी से युवक को कुचलने पर भड़के लोग

जम्मू-कश्मीर में संघर्ष के दौरान कथित रूप से प्रदर्शनकारी युवकों को कुचलने के आरोप में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शनिवार को सीआरपीएफ के खिलाफ दो केस दर्ज किए। वहीं, बल के वाहन चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। नौहट्टा इलाके में स्थित जामिया मस्जिद में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद करीब 500 की संख्या में युवकों ने सुरक्षा बलों पर पथराव शुरू कर दिया था। इस दौरान सीआरपीएफ का एक वाहन प्रदर्शनकारियों के बीच आ गया। प्रदर्शनकारियों ने इस पर पथराव किया।

पथराव से बचने के लिए वाहन चालक ने गाड़ी दौड़ा दी, जिसकी चपेट में आने से दो युवक घायल हो गए। इनमें एक की मौत हो गई। उधर, शनिवार को मृतक के जनाजे के दौरान कई जगह हिंसा हुई। प्रदर्शनकारियों से झड़प के दौरान सीआरपीएफ के वाहन से कुचलकर युवक की मौत के बाद अलगाववादियों ने हड़ताल बुला ली जिससे घाटी का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

हड़ताल के कारण श्रीनगर में पाबंदियां : अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और मोहम्मद यासिन मलिक के संयुक्त प्रतिरोधक नेतृत्व (जेआरएल) ने घाटी में कथित रूप से बढ़ रही आम नागरिकों की मौत, धार्मिक स्थलों को दूषित करने, जामिया मस्जिद क्षेत्र में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती, तिहाड़ समेत विभिन्न जेलों में कश्मीरी कैदियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ शनिवार को हड़ताल का आह्वान किया। शनिवार की सुबह से श्रीनगर के निचले इलाकों, सिविल लाइंस के कुछ हिस्सों तथा पुराने शहर में एहतियातन पाबंदियां लागू कर दी गईं।

घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं स्थगित : एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ऐहतियात के तौर पर राज्य में रेल सेवाओं और मोबाइल- इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। श्रीनगर और बड़गाम जिलों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड भी कम कर दी गई है।

अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ के नेता मोहम्मद यासीन मलिक और हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूख को नजरबंद कर लिया गया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि युवक की सीआरपीएफ के वाहन से कथित तौर पर टकराने से मौत हो गई थी और इस घटना के विरोध में रैली निकालने से रोकने के लिए नेताओं को हिरासत में लिया गया है।

इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि पहले सुरक्षा बल प्रदर्शनों को रोकने के लिए लोगों को जीप के आगे बांधकर घुमाते थे, लेकिन अब वे प्रदर्शनकारियों पर सीधे जीप चढ़ा देते हैं। अब्दुल्ला ने ट्विटर पर कहा, मुख्यमंत्री साहिबा, क्या आपका कार्रवाई करने का मानक तरीका यही है? संघर्ष विराम का अर्थ है बंदूकों के इस्तेमाल की बजाय जीप का इस्तेमाल?

 

वहीं प्रधानमंत्री कायार्लय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि कश्मीरी नेताओं के लिए सुरक्षाबल आसान निशाना हैं। कश्मीरी नेता आतंकवादियों की आलोचना इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि वे वापस हमला कर सकते हैं। जितेंद्र सिंह ने यह बयान राज्य के उमर अब्दुल्ला के उस ट्वीट का जवाब में दिया, जिसमें उमर ने शुक्रवार को सीआरपीएफ के वाहन से एक प्रदर्शनकारी के कुचले जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।