जम्‍मू-कश्‍मीर: अक्‍टूबर में होने वाले स्‍थानीय चुनाव टल सकते है: मीडिया रिपोर्ट

नई दिल्ली: जम्‍मू-कश्‍मीर में अक्‍टूबर के पहले सप्‍ताह में होने वाले निकाय चुनावों को टाला जा सकता है. एनडीटीवी को सूत्रों ने बताया है कि यह फैसला जम्‍मू कश्‍मीर की दो मुख्‍य विपक्षी पार्टियों के चुनाव बहिष्‍कार के फैसले के बाद लिया जा सकता है. आपको बता दें कि नेशनल कान्फ्रेंस के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार धारा 35ए पर अपना रुख साफ नहीं करती है तो उनकी पार्टी निकाय चुनावों के साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव का भी बहिष्कार भी कर देगी. स्‍टेट एडवाइजरी काउंसिल (सीएसी) की बैठक में यह फैसला लिया जा सकता है जिसकी अध्‍यक्षता जम्‍मू कश्‍मीर के लिए राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक करेंगे. सूत्रों का कहना है कि स्‍थानीय निकाय चुनावों को जनवरी तक टाला जा सकता है. हालांकि नंवबर और दिसंबर में होने वाले पंचायत चुनावों में अभी तक कोई परिवर्तन करने का फैसला नहीं किया है.

10 सितंबर को पीडीपी की बैठक के बाद जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी क्योंकि मौजूदा हालात अनुकूल नहीं हैं. मुफ्ती ने श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम अनुच्छेद 35 ए को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे.’ उन्होंने कहा कि राज्य की जनता ने बहुत कुर्बानी दी है और कोई अनुच्छेद 35 ए की वैधता से इनकार नहीं कर सकता. पीडीपी प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने संवाददाताओं से कहा कि अनुच्छेद 35 ए के संबंध में लोगों की आशंकाओं को जब तक संतोषप्रद तरीके से नहीं सुलझाया जाता, हम समझते हैं कि निकाय और पंचायत चुनाव कराना बेकार की कवायद होगा. कुछ दिन पहले ही नेशनल कान्फ्रेंस ने घोषणा की थी कि जब तक भारत सरकार और राज्य सरकार अनुच्छेद 35 ए पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करेगी और इसे बचाने के लिए अदालत में तथा अदालत के बाहर प्रभावी कदम नहीं उठाती, तब तक वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ेगी और 2019 के चुनाव भी नहीं लड़ेगी.

इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष अब्दुल्ला ने पार्टी की बैठक के बाद कहा था कि कोर ग्रुप ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया है कि अगर भारत सरकार और राज्य सरकार इस बाबत अपनी स्थिति साफ नहीं करते हैं और अदालत के भीतर तथा बाहर अनुच्छेद 35-ए की रक्षा के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाते हैं तो नेशनल कान्फ्रेंस इन चुनावों में भाग नहीं लेगी.  उन्होंने कहा कि राज्य प्रशासन ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव कराने का फैसला ‘‘ जल्दबाजी ’’ में लिया. राज्य सरकार ने पिछले हफ्ते राज्य में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की थी. शहरी स्थानीय चुनाव अक्तूबर के पहले हफ्ते में होने हैं वहीं पंचायत चुनाव इस वर्ष नवंबर-दिसंबर में होंगे.
अब्दुल्ला ने कहा कि कोर ग्रुप ने राज्य में बने हालात पर विस्तृत चर्चा की, खासकर अनुच्छेद 35-ए के बारे में. उन्होंने कहा, ‘‘ यह महसूस हुआ कि अनुच्छेद 35-ए में कोई भी छेड़छाड़ ना केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए विनाशकारी साबित होगी.’’ अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर के वर्तमान प्रशासन का उच्चतम न्यायालय के समक्ष जो रूख है वह ‘‘ स्पष्ट रूप से राज्य के लोगों की आकांक्षाओं और इच्छाओं के विरुद्ध” है.