तमिलनाडु की वज़ीर ए आला जयललिता के खिलाफ आमदनी से ज़्यादा इमलाक ( प्रापर्टी ) हासिल करने के इल्ज़ाम में चल रहे मुकदमे पर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट ने हटा दी है।
जस्टिस विक्र मजीत सेन और शिवकीर्ति सिंह की बेंच ने मुकदमे की सुनवाई पर रोक के लिए जयललिता की दरखास्त खारिज कर दी। जयललिता चाहती थीं कि निचली अदालत की ओर से लेक्स प्रापर्टी डेवलपमेंट प्रा. लि की दरखास्त का निपटारा होने तक मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगाई जाए।
इस कंपनी का दावा है कि कुछ प्रापर्टी को तमिलनाडु की सीएम की आमदनी से ज़्यादा प्रापर्टी का हिस्सा दिखाया गया है, जो वास्तव में उसकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगाने के मुताल्लिक अपना हुक्म वापस ले लिया। आमदनी से ज़्यादा इमलाक का यह मुकदमा 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई की अदालत से बंगलूरू की अदालत में मुंतकिल कर दिया था।
जयललिता पर इल्ज़ाम है कि उन्होंने आमदनी के मालूम ज़राए से ज़यादा 66 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रापर्टी हासिल की थी। इस मामले में जयललिता के साथ वीके शशिकला, वीएन सुधाकरण और जे इलावरसी पर भी मुकदमा चल रहा है।
गौरतलब है कि इस कंपनी का दावा है कि जयललिता की बेनामी प्रापर्टी के तौर पर प्रापर्टी कुर्क की गई है, वह उसकी है और इस ताल्लुक में उसका दरखास्त पर निचली अदालत को पहले फैसला करना चाहिए।