अन्नाद्रमुक (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड मुनेत्र कडगम) सुप्रीमो और तमिलनाडु की वज़ीर ए आला जयललिता को हफ्ते के रोज़ बेंगलुरू की एक खुसूसी ने आमदनी से ज्यादा दौलत रखने के सिलसिले के 18 साल पुराने मामले में मुजरिम करार देते हुए चार साल जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट के फैसला सुनाने के साथ ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
उन पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इस सजा के साथ ही जयललिता की वज़ीर ए आला की कुर्सी भी चली गई। सजा के बाद उन्हें बेंगलुरु की पारापन्ना अग्रहारा जेल ले जाया गया। सजा सुनने के बाद जयललिता ने बेचैनी की शिकायत की थी, जिसके सबब जेल के हॉस्पिटल में उनका चेकअप किया गया। जयललिता को इस सजा से राहत के लिए अब हाई कोर्ट में अपील करनी होगी। इस सजा के बाद जयललिता 10 साल तक इंतेखाबात लड़ने से मरहूम हो चुकी हैं इस फैसले के साथ ही उनकी विधानसभा की रुकनियत खत्म हो गई है, वहीं तमिलनाडु के वज़ीर ए आला का ओहदा भी छोेडना पडेगा।
इससे पहले खुसूसी अदालत के जज जॉन माइकल डी कुन्हा ने आमदनी से ज़्यादा दौलत जमा करने के इस मामले में फैसला सुनाते हुए उन्हें मुजरिम करार दिया था। यह फैसला आते ही जयललिता के हामी गुस्सा हो गए और उन्होंने चेन्नई में द्रमुक के चीफ एम करूणानिधि के घर के बाहर संगबारी किया। चेन्नई में जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक के हामी और करूणानिधि की पार्टी द्रमुक के हामी आपस में भिड गए। पुलिस हालात को काबू में करने की कोशिश में जुटी है।
इस बीच, जयललिता के कई हामी अपनी जान देने पर आमदा हैं। पुलिस ने कोयंबटूर में जयललिता की पार्टी के दो कारकुनो को पुलिस ने खुदकुशी करने से रोक लिया। तिरूपुर जिले में उनकी पार्टी के एक कारकुन ने खुद को आग लगाने की कोशिश की, लेकिन उसे बचा लिया गया। चेन्नई में सुब्रामण्यम स्वामी के घर के बाहर एहतिजाज कर रही खातून समेत अन्नाद्रमुक के कई कारकुनो को पुलिस लाठीचार्ज में चोट लगी है। पुलिस ने अन्नाद्रमुक और द्रमुक के बडे लीडरों के घर-दफ्तर के बाहर सेकुरिटी सख्त कर दी है। पार्टी के हेडक्वार्टर में सेक्युरिटी बढा दी गई है।
खुसूसी अदालत ने जयललिता के खिलाफ पिछले 18 साल से चल रहे आमदनी से ज़्यादा 66.65 करोड रूपये की दौलत के मामले में यह फैसला सुनाया है। इस फैसले का रियासत की सियासत और उनकी सरकार पर गहरा असर पडेगा।
65 साला अन्नाद्रमुक चीफ जयललिता सुबह चेन्नई से बेंगलुरू के लिए रवाना हो गई थी। उनके साथ उनकी करीबी साथी और इस मामले की दिगर मुल्ज़िम शशिकला नटराजन और इलावरासी भी थीं। ये लोग एक खुसूसी तैय्यारे में सवार होकर बेंगलुरू पहुंचे थे। जयललिता के बेटे वीएन सुधाकरन भी इस मामले में एक मुल्ज़िम हैं। गौरतलब है कि अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता पर आमदनी से ज्यादा दौलत संपत्ति रखने का इल्ज़ाम है। द्रमुक ने 1996 में जयललिता, उनकी साथी शशिकला और उनके गोद लिए हुए बेटे वीएन सुधाकरन पर केस दर्ज कराया था। द्रमुक का इल्ज़ाम था कि 1991 से 1996 तक जयललिता के सीएम रहते कई गडबडियां हुईं।
उनका कहना था कि वह हर महीने एक रूपये तंख्वाह लेती हैं तो उनकी प्रापर्टी करोडों रूपये की कैसे हो गई। 18 साल पहले जब जयललिता के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था, उस समय वह पहली बार सीएम बनीं थीं। इस दौरान उन्होंने अपने तंख्वाह से महज एक रूपये लेने का ऐलान किया था। इसके बावजूद बाहरी ज़राये से उन पर 66 करोड से ज़्यादा रूपये जमा करने के इल्ज़ाम लगे। इतना ही नहीं, हिंदुस्तान के कई बडे शहरों में उनके नाम से और उनके अपनों के नाम होटल होने का भी दावा किया गया, साथ ही बैरून में भी जयललिता के नाम होटल होने की बात कही गई।