ये सिर्फ़ हिंदुस्तान में होता है जहां एक खिलाड़ी जो कि अनक़रीब बैनुल-अक़वामी सतह पर हिंदुस्तानी टीम की नुमाइंदगी करने वाला होता है लेकिन इसके आबाई शहर में प्रेक्टिस के लिए उसे बेहतर बुनियादी सहूलयात फ़राहम नहीं होती और खिलाड़ी को बेहतर प्रेक्टिस के लिए अपनी जेब से फ़ीस अदा करनी पड़ती है।
ऐसे ही हालात जयदेव उनादकट के भी हैं जिन्हें आइन्दा माह बंगलादेश के ख़िलाफ़ होने वाले तीन मुक़ाबलों की वन्डे सीरीज़ के लिए हिंदुस्तानी टीम में शामिल किया है लेकिन उन्हें आबाई शहर में प्रेक्टिस के लिए बेहतर सहूलयात दस्तयाब नहीं है। इस बारे में इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए जयदेव ने कहा कि में गुजिश्ता 14 साल से पुने के दक्कन जिमखाना कलब की नुमाइंदगी करता हूँ और उन्हों ने बंगलादेश दौरा के ज़िमन में एक बेहतर विकेट तैयार करने से इनकार कर दिया है।
अब जबकि मुझे बंगलादेश के दौरा में हिंदुस्तान की नुमाइंदगी करना है लेकिन इंतिज़ामिया ने उस की तैयारी के लिए एक बेहतर विकेट फ़राहम करने से इनकार कर दिया है। जयदेव ने मज़ीद कहा कि वो क्रिकेट एकेडेमी में 22 यार्डस की विकेट के लिए माहाना 18 हज़ार रुपये अदा कररहे हैं। 29 साला जयदेव आई पी एल दिल्ली डियर डेविल्स के लिए बेहतर मुज़ाहरा करचुके हैं लेकिन टीम का मजमूई तौर पर मुज़ाहरा इंतिहाई मायूसकुन है।