जय राम रमेश IWMP प्रोजेक्टस के नामुनासिब

वज़ीर देही तरक़्क़ी जय‌ राम रमेश ने आज इस बात पर नाराज़गी का इज़हार किया कि उडीशा में इंटीग्रेटेड वॉटर शेड मैनिजमंट प्रोजेक्ट (IWMP) का मुनासिब नहीं होरहा है हालाँकि मर्कज़ ने 2009-10 और 2013-14 के लिए 1595 करोड़ रुपये मुख़तस किए थे जबकि जारी की गई रक़म 399 करोड़ रुपये है|

ग़ैर इस्तिमाल शूदा बाक़ी रक़म 208 करोड़ रुपये पर मुश्तमिल है। अगर उडीशा हुकूमत ने मज़कूरा प्रोजेक्टस का मुनासिब तरीके पर क्या होता जैसा कि उसे करना चाहिए था तो इस के लिए मर्कज़ मज़ीद 113 करोड़ रुपये गुजिश्ता चार सालों के दौरान मंज़ूर कर सकता था।

जय‌ राम रमेश ने ये तमाम तफ़सीलात वज़ीर-ए-आला नवीन पटनायक को तहरीर करदा एक मकतूब में पेश कीं। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ कर्नाटक रियासत के सिवाए दीगर रियासतों में IWMP प्रोजेक्टस पर अमल आवरी की रफ़्तार इंतिहाई सुस्त और अफ़सोसनाक है। यहां इस बात का तज़किरा ज़रूरी है कि IWMP प्रोजेक्टस की लॉंचिंग 2009-10 में अमल में आई थी जिस के ज़रिया क़ुदरती वसाइल के ज़रिया अकूलोजीकल तवाज़ुन बरक़रार रखने के अमल का होना जरुरी था जैसे फ़सल के लिए दरकार मिट्टी, पानी और दीगर ताकि फसलों की ब्वॉय मुम्किन होसके।

मुल्क में आज ज़राअत को बहुत ज़्यादा अहमियत दी जाती है जिस केलिए असरी तरीका कार भी अपनाया जा रहा है। माहौलयात को मद्द-ए-नज़र रखते हुए उसे तरीका कार और मशीनें इजाद हुई हैं जो माहोलयाती और अकूलोजीकल तवाज़ुन बरक़रार रखने में अहम रोल अदा करती है। उन्होंने दूसरी रियासतों को भी रियासत कर्नाटक की अमल‌ करने की सलाह दी और कहा कि सिर्फ़ एक रियासत में अमल आवरी नाकाफ़ी है।