जय श्री राम एक सियासी नारा अवाम चौकन्ना रहीं:कन्हैया

हैदराबाद 25 मार्च:जय श्री राम सियासी नारा है और इस नारे के ज़रीये आरएसएस-ओ-भारतीय जनता पार्टी मासूम अवाम को वरग़लाते हुए मुत्तहिद करने की कोशिश कर रही है। कन्हैया कुमार ने आज सुंदरिया विग्नान केंद रम में मुनाक़िदा एक सेमिनार से ख़िताब के दौरान ये बात कही और उन्होंने इस नारे के तारीख़ी हक़ायक़ का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग ये नारा लगाते हैं वो दरहक़ीक़त हिंदू नहीं हैं बल्के आरएसएस के नज़रियात से मुतास्सिर हैं या फिर ख़ुद कई हिंदू मत के मानने वालों को भी ये नहीं पता कि ये नारा एक सियासी नारा है जोकि सियासी मक़ासिद बरारी के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।

कन्हैया कुमार ने बताया कि हिंदूइज़म में जो नारा लगाया जाता है वो राम-राम होता है। ईसी तरह भारत माता के भी तसव्वुर को तबदील किया जा रहा है। भारत माता का जो तसव्वुर पहले पेश किया जाता था इस में एक ख़ातून की मूर्ति को जो किसी भी एतबार से कोई देवी या भगवान नहीं थी बल्कि एक ख़ुशहाल मूर्ति की शक्ल दी गई थी और इस मूर्ति के हाथ में तिरंगा हुआ करता था लेकिन पिछ्ले चंद बरसों में भारत माता के तसव्वुर को जिस तरह तबदील किया गया है, इस के हाथ से सबसे पहले तिरंगा छीन लिया गया और भारत माता का भगवाकरण कर दिया गया यानी तिरंगा निकाल कर इस मूर्ति के हाथ में भगवा पर्चम थमा दिया गया और जो भारत माता का तसव्वुर साबिक़ में दिया जाता था वो हिन्दुस्तानी नक़्शे पर खड़ी होती थी लेकिन भगवाकरण की सियासत करने वालों ने भारत माता के तसव्वुर को तबदील करते हुए अब उसे एक शेर पर बिठा दिया है और इस की साड़ी को भी भगवा रंग कर दिया है। उन्होंने अपने ख़िताब के दौरान तिरंगे के तीन रंगों की एहमीयत बयान करते हुए कहा कि नीले रंग में मौजूद चक्कर को तबदील करने की भी एक साज़िश तैयार की जा रही है जिससे चौकन्ना रहने की ज़रूरत है।

नीला रंग चूँकि दलित और पिछड़े तबक़ात की अलामत है ईसी लिए उसे भी तिरंगे में बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है लेकिन अम्बेडकर, लोहीया, भगत सिंह और रोहित की ख़ाहिशात को पूरा करने के लिए जद्द-ओ-जहद के ज़रीये इस मुल्क के भगवाकरण को रोकना भी हमारी ज़िम्मेदारी है जिसे हम पूरा करने की कोशिश करेंगे।