जर्मनी में सिर्फ़ मुस्लिमों के लिए ही नहीं बल्कि यहूदियों के प्रति भी बढ़ रहे हैं नफ़रत!

राष्ट्रवाद की भावना दुनिया भर में बढ़ रही है और जर्मनी भी इसमें पीछे नहीं है। एक शोध के अनुसार जर्मनी में विदेशियों को पसंद ना करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है, खास कर पूर्वी हिस्से में।

एक तिहाई जर्मन लोगों का मानना है कि विदेशी जर्मनी में सिर्फ यहां की लोक कल्याण नीतियों का फायदा उठाने आते हैं। जर्मनी के पूर्वी हिस्से में तो ऐसा मानने वालों की संख्या और भी ज्यादा है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 44.6 फीसदी लोगों ने कहा कि देश खतरनाक रूप से विदेशियों से भर चुका है।

लाइपजिग स्थित कॉम्पिटेंस सेंटर फॉर राइट विंग एक्सट्रीमिज्म एंड डेमोक्रेसी रिसर्च के आंकड़े दिखाते हैं कि जर्मनी में विदेशियों के प्रति पूर्वाग्रह बढ़ रहे हैं।

यह संस्था हर दो साल में एक बार सर्वे के नतीजे प्रकाशित करती है और देश में उग्र दक्षिणपंथ के प्रति नागरिकों की सोच को उजागर करती है। संस्था के अध्यक्ष ऑलिवर डेकर ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा, “पूर्वी जर्मनी में पूर्वाग्रह से जुड़े आंकड़े हमेशा से ही ज्यादा रहे हैं।

शोध के अनुसार आप्रवासियों के खिलाफ नफरत बढ़ी है, खास कर मुसलामानों, सिंती और रोमा समुदाय के खिलाफ। रिसर्च में हिस्सा लेने वाले 60 फीसदी लोगों का मानना था कि सिंती और रोमा लोग अपराधी होते हैं. 2014 की तुलना में यह पांच फीसदी का इजाफा है. ऐसा ही मुसलामानों के मामले में भी देखा गया है।

44 फीसदी लोगों का कहना था कि मुसलामानों को जर्मनी में शरण देना बंद कर देना चाहिए। चार साल पहले 36.5 प्रतिशत लोगों का ऐसा कहना था। 55.8 फीसदी लोगों ने कहा कि जर्मनी में मुसलामानों की बढ़ती संख्या को देख कर उन्हें अपने ही देश में अजनबियों जैसा महसूस होता है. 2014 में यह संख्या 43 फीसदी थी।

सर्वे में लोगों से यहूदियों के बारे में भी सवाल किए गए। हर दस में से एक व्यक्ति ने कहा कि यहूदियों का आज भी समाज पर बड़ा प्रभाव है और उन्हें यहूदियों में कुछ “अजीब” लगता है जिसके कारण उनका मानना है कि वे जर्मन समाज में ठीक से फिट नहीं बैठते।

रिपोर्ट लिखने वालों का मानना है कि इस तरह के विचार रखने वालों की असल संख्या इससे ज्यादा हो सकती है लेकिन अधिकतर लोग खुल कर यहूदियों के खिलाफ बोल नहीं पाते हैं क्योंकि जर्मनी के इतिहास के मद्देनजर इसी स्वीकारा नहीं जाता है।