जर्मनी: शरणार्थियों के लिए जॉब, एक यूरो प्रति घंटे

बर्लिन: जर्मनी में हजारों प्रवासियों को एक यूरो प्रति घंटे के हिसाब से रोजगार प्रदान की जा रही हैं। अधिकांश प्रवासि कल्याणकारी काम करने वाली सहायता संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं लेकिन मजदूरी इतनी कम क्यों है?

23 वर्षीय जायद एक इराकी शरणार्थी है और इस समय बर्लिन शहर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसे बर्लिन के उस स्पोर्ट्स हॉल में नौकरी दी गई, जहां इस समय लगभग डेढ़ सौ सीरियाइ, इराकि और अफगानी शरणार्थि मौजूद हैं और उसका काम खाना पकाने में सहायता प्रदान करना है।

ज़ैद की तरह हजारों शरणार्थियों को साइकिल की मरम्मत, पौधों की कटाई और सफाई की नौकरियां दी गई हैं और उन्हें मजदूरी के रूप में केवल एक यूरो प्रति घंटे का प्रदान किया जाता है।

इस तथाकथित ” एक यूरो जॉब ” को प्रवासियों के लिए रोजगार के बाजार में प्रवेश करने के तरीके के रूप में पेश किया गया है लेकिन विश्लेषक इस कार्यक्रम के बारे में शक व संदेह व्यक्त करते हैं।

इन शरणार्थियों को एक सप्ताह में बीस घंटे से अधिक काम करने की अनुमति नहीं है और इस तरह महीने भर काम करने के बाद भी ज़ैद लगभग केवल चौरासी यूरो कमा सकता है।

जर्मन नागरिकों की तुलना में ज़ैद की तन्खाह बेहद कम है लेकिन ज़ैद ने इस बारे में मुस्कुराते हुए कहा, ” इस नौकरी के माध्यम से मुझे जर्मन स्वयंसेवकों से बातचीत करने और उनके साथ जर्मन बोलने का मौका मिल रहा है। ”

ज़ैद ने जर्मनी में राजनीतिक शरण के लिए आवेदन कर रखा है और अब तक इस आवेदन से संबंधित कोई फैसला नहीं हो पाया है। जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या अधिक होने के कारण उनके अनुरोध के बारे में कोई भी फैसला होने में महीने लग सकते हैं और इस दौरान उनके प्रवासियों को काम करने की अनुमति नहीं है।

इस समस्या को हल करने के लिए अधिकारियों ने ‘वन यूरो जॉब’ ‘की पेशकश की है क्योंकि इस तरह वे नियमित नौकरी की बजाय स्वयंसेवक के कानून के तहत नौकरी कर सकते हैं।

इस समय राजधानी बर्लिन में लगभग चार हजार शरणार्थि ” वन यूरो जॉब ” कर रहे हैं जबकि राज्य बवेरिया  में ऐसी नौकरियां करने वाले प्रवासियों की संख्या लगभग नौ हजार है। इसी तरह हीनवोर शहर नवागंतुक प्रवासियों को साइकिल की मरम्मत का काम सिखाया जा रहा है या फिर यह बच्चों के स्कूलों में काम के बदले जर्मन भाषा सीख रहे हैं।

जर्मनी की महिला श्रम मंत्री इंदिरा नाहलीज़ के अनुसार वह शरणार्थियों के लिए ऐसी एक लाख नौकरियों का सृजन करना चाहती हैं और यह नौकरियां उन्हें रोजगार के बाजार में प्रवेश करने के लिए आधार प्रदान करेंगी।

दूसरी ओर जर्मन फेडरेशन यूनियनों के प्रमुख राईनर होफमान ऐसी नौकरियों के विरोधी हैं। वे कहते हैं कि प्रवासियों को जर्मन अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने के लिए एक व्यापक आधार वाली कार्यक्रम की जरूरत है।