जर्मन फूटबाल संघ ने मुझे बली का बकरा बनाना चाहा- मेसुत ओएजिल

जर्मनी की फुटबॉल टीम को बड़ा धक्का लगा है। तुर्क मूल के खिलाड़ी मेसुत ओएजिल ने नस्लवाद का हवाला देते हुए राष्ट्रीय टीम से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा, नहीं बनेंगे बलि का बकरा।

वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले मेसुत ओएजिल ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान से मुलाकात की और तब से वे विवादों में घिरे रहे। आखिरकार रविवार को उन्होंने ट्विटर पर तीन पन्नों का अपना बयान जारी किया।

इसमें उन्होंने साफ किया कि अब वे जर्मनी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल नहीं खेलेंगे। इस बयान में ओएजिल ने सीधे जर्मन फुटबॉल संघ डीएफबी के अध्यक्ष राइनहार्ट ग्रिंडल आरोप लगाते हुए कहा है कि वे खुद को बलि का बकरा नहीं बनने देंगे।

ओएजिल ने लिखा, “ग्रिंडल और उनके समर्थकों के लिए, अगर हम जीत जाते हैं, तो मैं जर्मन होता हूं और अगर हार जाते हैं, तो आप्रवासी बन जाता हूं। उन्होंने आगे लिखा, मैं अनचाहा महसूस कर रहा हूं और मुझे ऐसा लगता है कि 2009 में अपनी शुरुआत के बाद से मैंने जो भी सब हासिल किया, वो सब भुलाया जा चुका है।

ओएजिल ने लिखा है कि जर्मनी में अपना पूरा जीवन बिताने के बावजूद उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है, जर्मनी में टैक्स चुकाने, जर्मन स्कूलों में दान देने और 2014 में जर्मनी के लिए वर्ल्ड कप जीतने के बावजूद मुझे अब भी समाज में स्वीकारा नहीं जा रहा है। मेरे साथ भेदभाव किया जाता है।

वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ओएजिल और टीम के एक और खिलाड़ी इल्काय गुएनदोआन ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान से मुलाकात की और उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई। इस पर देश में काफी विवाद उठा।

जर्मनी और तुर्की के नाजुक संबंधों को देखते हुए ओएजिल की काफी आलोचना हुई। लेकिन अपने बयान में उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है, पिछले चुनाव या उससे पहले के चुनाव का जो भी नतीजा रहा होता, मैंने फिर भी वह तस्वीर ली होती।

इसके अलावा ओएजिल ने मीडिया के रवैये पर भी निराशा जाहिर की। मीडिया के दोहरे मानदंडों की बात करते हुए उन्होंने लोथार माथेउस का उदाहरण भी दिया है। लोथार माथेउस ने 1990 में बतौर टीम कैप्टन जर्मनी को वर्ल्ड कप में जीत दिलवाई थी।

ओएजिल ने लिखा कि जब माथेउस रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जा कर मिले तो उस पर मीडिया की ओर से लगभग कोई आलोचना नहीं हुई लेकिन उनकी एर्दोवान से मुलाकात पर मीडिया बरसी क्योंकि वे खुद तुर्क मूल के हैं, मैं यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि जर्मन मीडिया लगातार मेरी पृष्ठभूमि और मेरी एक तस्वीर को वर्ल्ड कप में पूरी टीम के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार बता रहा है।