जलियान‌ वाला बाग़ वाक़िया शर्मनाक : डेविड कैमरोन

अमृतसर, 21 फरवरी: जलियान‌ वाला बाग़ में बर्तानवी दौरे हुकूमत के दौरान हिन्दुस्तानी अवाम के एहतिजाज को कुचलने के लिए की गई फायरिंग में 1,000 से ज़ाइद अफ़राद की मौत के तक़रीबन 94 साल बाद वज़ीरे आज़म बर्तानिया डेविड कैमरोन ने आज इस वाक़िये को इंतिहाई शर्मनाक क़रार दिया, लेकिन उन्होंने इस पर बरसरे आम माफ़ी से गुरेज़ किया।

46 साला डेविड कैमरोन जो 1919 जलियान वाला बाग़ क़त्ले आम के मुक़ाम का दौरा करने वाले पहले मुंतख़ब जमहूरी बर्तानवी वज़ीरे आज़म हैं, जिन्होंने दो ज़ानू होकर जलियान वाला बाग़ शहीदों को ख़राज पेश करते हुए फूल माला चढ़ाई। उन्होंने बसदे एहतिराम दोनों हाथ जोड़ कर एक मिनट की ख़ामोशी भी मनाई।

जलियान वाला बाग़ के वज़ीटरस बुक में अपने ख़्यालात तहरीर करते हुए कैमरोन ने कहा कि बर्तानिया की तारीख़ में ये इंतिहाई शर्मनाक हरकत है। विंस्टन चर्चिल ने भी उस वक़्त इस वाक़िये को सदमा ख़ेज़ क़रार दिया था। हम इस वाक़िये को फ़रामोश नहीं कर सकते। इस बात को यक़ीनी बनाना ज़रूरी है, कि सारी दुनिया में पुरअमन एहतिजाज के हक़ के लिए बर्तानिया भी उठ खड़ा हुआ है।

बाज़ तंज़ीमों ने वज़ीरे आज़म बर्तानिया के इस दौरा के दौरान माज़रत ख़्वाही का मुतालिबा किया। कैमरोन का ये दौरा 1997 में मलिका एलज़बथ (दोम) और उन के शौहर प्रिंस फ़लिप के दौरा अमृतसर के 16 साल बाद हुआ है। उन्होंने जलियान वाला बाग़ के शहीदों को ख़राज पेश किया, और अमर ज्योति के सामने चंद सेकिण्ड खड़े रहे।

उन्होंने यहां के पार्क में तक़रीबन 25 मिनट गुज़ारे। कैमरोन के दौरा के दौरान हिन्दुस्तानी सहाफियों को दूर रखा गया था। सिर्फ़ फ़ोटो जर्नलिस़्टों को दूर से तस्वीरकशी की इजाज़त दी गई थी। जलियान वाला बाग़ क़त्ले आम 13 अप्रेल 1919 को अमृतसर में पेश आया था, उस वक़्त के बर्तानवी फ़ौज के ब्रीगेडियर जनरल रीनल्ड ई ऐच डावर ने जलियान वाला बाग़ में 15 ता 20 हज़ार अफ़राद के इजतिमा की ख़बर सुन कर हुजूम पर फायरिंग करने का हुक्म दिया था।

डावर ने ये फायरिंग 10 मिनट तक जारी रखी जिस की वजह से एक हज़ार बेगुनाह हिन्दुस्तानी शहीद होगए थे। इस के इलावा 1100 अफ़राद ज़ख़मी होगए। इस से पहले कैमरोन ने गोल्डन टेंपल में हाज़िरी दी जहां उन्हें एज़ाज़ से नवाज़ा गया।