जश्ने तेलंगाना में उर्दू ज़बान के साथ सौतेला सुलूक

तेलंगाना के क़ियाम के मौके पर सरकारी तौर पर मुनाक़िदा यौमे तासीस तेलंगाना के प्रोग्राम में उर्दू प्रोग्राम्स के नज़र अंदाज और उर्दू ज़बान के साथ सौतेला सुलूक किए जाने पर ज़िला के उर्दू दां तबक़ा की तरफ से नाराज़गी ज़ाहिर की जा रही है चुनाव से पहले टी आराएस ने इक़तिदार पर आने के बाद उर्दू के साथ मुकम्मिल इंसाफ़ करने का वाज़िह तौर पर यकीन् दिया था और उर्दू ज़बान के फ़रोग़ के लिए इक़दामात करने का दावा किया था लेकिन दुसरी हुकूमतों की तरह टी आराएस भी इक़तिदार पर आते ही उर्दू के साथ ना इंसाफ़ी का आग़ाज़ कर दिया।

उर्दू दां तबक़ा में टी आराएस के सरबराह पर इसी लिए भरोसा किया था ये हमेशा अपनी तक़ारीर में उर्दू के अशआर का इस्तेमाल और दरमयान में उर्दू में तक़रीर करते हुए उर्दू दां तबक़ा को ख़ुश करने की कोशिश किया करते थे ना सिर्फ़ उर्दू दां बल्कि मुस्लमान भी इस सियासी हर्बा से बेहद ख़ुश होरहे थे जिस की वजह से शहर निज़ामबाद के मुसलमानों ने टी आराएस को कामयाब बनाने में अहम रोल अदा किया।

रियासती गवर्नर की तरफ से यौमे तासीस से पहले ज़िला कलेक्टर को अहकामात जारी करते हुए 02 जून से 08 जून तक तेलंगाना की यौमे तासीस तक़ारीब मनाने की हिदायत दी थी और इस प्रोग्राम में उर्दू के प्रोग्राम्स को भी शामिल किया गया था जिस में मुशायरा, क़व्वाली और कल्चरल प्रोग्राम्स को शामिल किया गया था लेकिन ज़िला इंतेज़ामीया की टाऱाफ से सिर्फ़ मुशायरा के प्रोग्राम को अंजाम दिया गया और इस प्रोग्राम में भी उर्दू के बयानर के बजाये तेलुगु के बयानर नसब करने पर उर्दू दां तबक़ा की तरफ से मुख़ालिफ़त करते हुए प्रोग्राम में अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की थी लेकिन इस के बावजूद भी ज़िला इंतेज़ामीया पर कोई असर नहीं हुआ।

उर्दू के प्रोग्राम्स के लिए सिर्फ़ 10 हज़ार रुपये मंज़ूर किए गए थे ज़िला इंतेज़ामीया की तरफ से मुक़र्रर करदा प्रोग्राम्स में से मुशायरे का इनइक़ाद करते हुए बाक़ी प्रोग्रामों को नज़रअंदाज कर दिया गया जबकि दुसरे प्रोग्रामों को रिवायती अंदाज़ में मुनाक़िद करते हुए ज़िला की अवाम को मुतमइन करने की कोशिश की गई लेकिन उर्दू दां तबक़ा और मुसलमानों को नज़रअंदाज किए जाने पर उर्दू दां तबक़ा की तरफ से मुख़ालिफ़त की जा रही है ना सिर्फ़ उर्दू के साथ बल्कि ज़िला कलेक्टर सियासी क़ाइदीन को भी नजरअंदाज़ करने की आम शिकायत है।

ज़िला के अराकाने असेंबली को प्रोग्राम्स में की इत्तेला आम तौर पर दी गई लेकिन उन्हें मदऊ ना किए जाने पर कोई भी रुकने असेंबली और एम एल सीज़ इन प्रोग्राम में शिरकत नहीं की।

हालाँकि अराकाने असेंबली अपने हलक़ों में होने के बावजूद भी ज़िला हेडक्वार्टर पर मुनाक़िदा प्रोग्राम्स में शिरकत करने से क़ासिर रहे। टी आराएस हुकूमत में भी उर्दू के साथ सौतेला सुलूक इसी तरह चलता रहा तो एहतेजाज करने पर मजबूर होना पड़ा।