भारतीय प्रेस काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने मुस्लिमों के साथ एकजुटता दिखाने और सांप्रदायिकता के जहर को खत्म करने के मकसद से आज से शुरू हो रहे रमजान के महीने में सभी गैर मुस्लिमों से एक दिन रोजा रखने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ-साथ सभी को रमजान के महीने की मुबारकबाद देते हुए कहा, पिछले कई सालों से मैं रमजान के महीने में एक दिन रोजा रखता आ रहा हूं। उन्होंने बताया, पिछले साल मैंने 4 जुलाई को अमेरिका के कैलिफोर्निया में रोजा रखा था और मैंने अमेरिका तथा अन्य जगहों पर कई दूसरे लोगों को भी इसके लिए तैयार किया।
गैर मुस्लिमों का एक दिन रोजा रखना असल में सांप्रदायिकता के उस जहर को काटने की दवाईओं में से एक है जो पहले अंग्रेजों और बाद में सरकारों ने हमारे शरीर में भर दिया गया। उन्होंने कहा, इस साल मैंने दुनिया भर के गैर मुस्लिमों से रमजान के आखिरी जुमे 4 जुलाई को रोजा रखने की गुजारिश की है तांकि अपने मुस्लिम साथियों से सेहरी और इफ्तार का वक्त पता करें और पूरी तन्मयता से रोजा रखें। जस्टिस काटजू ने कहा, वह सभी गैर हिंदुओं से भी नवरात्र के दौरान उपवास रखने की अपील करते हैं।
आमतौर पर रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग ही रोजा रखते हैं लेकिन भारत में कई ऐसे गैर मुस्लिम भी हैं जो इस महीने के दौरान रोजा रखते हैं। उनका मानना है कि इससे उनको एक आध्यात्मिक शांति मिलती है और भूख और प्यास का महत्व भी पता चलता है। रमजान में देश के कई हिस्सों में हिंदू समुदाय के लोग मुसलमानों के लिए सेहरी और इफ्तार का प्रबंध कर भाईचारे की मिसाल पेश करते रहे हैं।