जस्टिस वर्मा के ख़ानदान का पद्म भूषण एवार्ड लेने से इनकार

आँजहानी जस्टिस जे एस वर्मा के अरकान ख़ानदान ने हकूमत-ए-हिन्द की जानिब से दिए जाने वाले पद्म भूषण एवार्ड लेने से ये कह कर इनकार कर दिया है कि ऐवार्ड क़बूल करना आँजहानी जस्टिस के उसूलों के खिलाफ‌ होगा क्योंकि उन्होंने किसी भी नौईयत के ऐवार्ड की कभी भी कोई ख़ाहिश नहीं की।

सदर जम्हूरिया परनब मुख‌र्जी को एक मकतूब तहरीर करते हुए वर्मा की अहलिया पुष्पा ने कहा कि हमारे लिए सब से बड़ा एज़ाज़ ये है कि आँजहानी वर्मा मुल्क की अवाम के ज़हन-ओ-दिल में ज़िंदा रहें। उन्होंने कहा कि उनके पति कभी किसी ऐवार्ड के पाले के लिए ग्रुप बंदी में मुलव्वस नहीं रहे।

लिहाज़ा हम पद्म भूषण एवार्ड क़बूल नहीं करसकते क्योंकि हम जानते हैं कि अगर जस्टिस वर्मा ज़िंदा होते तो शायद ये ऐवार्ड क़बूल ना करते। उन्होंने हमेशा शख़्सी फ़ायदा के सामने मुल्क के मुफ़ाद को तर्जीह दी। 29 जनवरी को तहरीर करदा इस मकतूब में कहा गया है कि आँजहानी को हमेशा एक मारूफ़-ओ-मक़बूल ज्यूरिस्ट की हैसियत से याद किया जाएगा। अरकान ख़ानदान का कहना है कि उन्हें सरकारी तौर पर पद्म भूषण एवार्ड दिए जाने की कोई इत्तिला नहीं है बल्कि उन्हें मीडिया से पता चला कि जस्टिस वर्मा को पद्म भूषण दिया जाने वाला है।

जस्टिस वर्मा की दुख्तर शोबरा वर्मा ने बताया कि जनवरी के शुरु में वज़ारत-ए-दाख़िला के कुछ ओहदेदारों ने आँजहानी वर्मा के आबाई वतन सातना का दौरा किया था जहां उन्होंने वहां के लोगों से जस्टिस वर्मा के बारे में मालूमात हासिल की थीं। जब मैंने ये जानने की कोशिश की कि मेरे वालिद के बारे में पूछताछ क्यों की जा रही है तो मुझे बताया गया कि उन्हें पद्म भूषण एवार्ड के लिए नामज़द किया गया है।

याद रहे कि जस्टिस वर्मा ने 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में इजतिमाई इस्मत रेज़ि के वाक़िया के बाद उस नौईयत के मुआमलात से निमटने सख़्त तरीन क़वानीन वज़ा करने की तजवीज़ पेश की थी। गुजिश्ता साल 22 अप्रैल को उनका इंतिक़ाल होगया था।