जस्टिस वर्मा से नामुनासिब वक़्त देने पर सोनया गांधी की माज़रत ख़्वाही

नई दिल्ली 27 जनवरी कांग्रेस पार्टी की जानिब से इंसिदाद इस्मत रेज़ि क़वानीन में तबदीली की तजवीज़ जस्टिस जे एस वर्मा ज़ेर क़ियादत कमेटी की जानिब से सदर कांग्रेस सोनया गांधी को आधी रात के बाद पेश की गई। नामुनासिब वक़्त देने पर सदर कांग्रेस सोनया गांधी ने जस्टिस वर्मा से माज़रत ख़्वाही की ।

जस्टिस वर्मा ने कहा कि वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह और मर्कज़ी वज़ीरफ़ीनानस पी चित‌म़्बरम ने कमेटी की तशकील में बहुत ज़्यादा मदद की है जिस की वजह से ये कमेटी दूर रस सिफ़ारिशात पेश करने में कामयाब होसकी । जिन में फ़ौजदारी क़वानीन में जामि तबदीलीयों की ताईद की गई है ।

आधी रात के बाद अगर कोई मेरी क़ियामगाह को आता है ,मुझे जगाता है और शख़्सी तौर पर (कांग्रेस पार्टी की तज्वीज़ें ) पेश करना चाहता है जबकि सदर कांग्रेस को उस की इत्तिला हो तो सदर कांग्रेस सोनया गांधी काफ़ी ख़ुशअख़लाक़ी के साथ पेश आती हैं ।जस्टिस वर्मा ने कहा कि अगले दिन सोनया गांधी ने शख़्सी तौर पर मुझे टेलीफ़ोन किया और मुझे जो परेशानी उठानी पड़ी इस केलिए मुझ से माज़रत ख़्वाही की और मुझे उनसे कहना पड़ा कि उनको माज़रत ख़्वाही की कोई ज़रूरत नहीं है ।

जस्टिस जे एस वर्मा ने सी एन एन आई बी एम के डेविल्स एडवोकेट प्रोग्राम में शिरकत करते हुए करण थापर से ये इन्किशाफ़ किया । जस्टिस वर्मा तीन रुकनी कमेटी के सरबराह थे जो हुकूमत की जानिब से 16 दिसम्बर को इजतिमाई इस्मत रेज़ि के वाक़िया के पस-ए-मंज़र में इंसिदाद इस्मत रेज़ि क़वानीन में तरमीमात केलिए तशकील दी गई थी ।

23 जनवरी को कमेटी ने अपनी सिफ़ारिशात पेश करदें ।जस्टिस वर्मा ने कहा कि उन्होंने कमेटी की सदारत उस वक़्त क़बूल की जबकि मर्कज़ी वज़ीर फ़ीनानस पी चित‌म़्बरम ने वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह की ईमा पर उन्हें टेलीफ़ोन करते हुए उस की तरग़ीब दी । उन्होंने अब तक भी मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला सुशील कुमार शंडे से मुलाक़ात नहीं की और ना इस सिलसिले में कोई तबादला-ए-ख़्याल किया है ।

इस्मत रेज़ि के मुजरिम को सज़ाए मौत की सिफ़ारिश ना करने के बारे में सवाल का जवाब देते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा कि ये ख़वातीन ग्रुपस का मुत्तफ़िक़ा नुक्ता-ए-नज़र था । वो सज़ाए मौत के ख़िलाफ़ हैं । ये ग्रुपस सालौ से ख़वातीन के हुक़ूक़ केलिए जद्द-ओ-जहद कररहे हैं ।

उन्होंने भी इस्मत रेज़ि के मुजरिम को सज़ाए मौत की मुख़ालिफ़त की । उन्होंने कहा कि अगर बेरहमी से इस्मत रेज़ि करने पर कोई मुतास्सिरा फ़ौत होजाए तो दफ़ा 302 मुल्ज़िम पर ख़ुद ब ख़ुद लागू होजाएगी इस लिए सज़ाए मौत की गुंजाइश अब भी मौजूद है । इस सवाल पर कि क्या कमेटी चंद सयासी नौईयत की सिफ़ारिशात पेश करते हुए सयासी मुक़ाम हासिल करने की कोशिश कररही है ।

जस्टिस वर्मा ने कहा कि उन्हें सयासी मुक़ाम की कोई परवाह नहीं है । मुम्किन है कि मुक़ामी सियासतदां इस के ख़ाहिशमंद हों । सयासी और मज़हबी क़ाइदीन पर ख़वातीन के बारे में मुतनाज़ा तबसरे करने पर तन्क़ीद करते हुए कमेटी ने ऐसे सियासतदानों को जो सनफ़ी तास्सुब रखते हूँ इंतिख़ाबात केलिए ना अहल क़रार देने की भी सिफ़ारिश की है ।