जहरीले मिड डे मील से 23 बच्चों की मौत के मामले में स्कूल की सजायाफ्ता हेडमास्टर को जमानत

पटना: पटना हाइकोर्ट ने सारण जिले के  धर्मासती  गंडामन स्थित उत्क्रमित प्राथमिक स्कूल में विषाक्त मिड डे मील से 23 बच्चों की मौत के मामले में स्कूल की सजायाफ्ता  हेडमास्टर मीना देवी को जमानत दे दी है.  जस्टिस केके मंडल और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने सोमवार को मीना देवी की जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए जमानत दे दी. निचली अदालत से मिली 10 वर्षों की सश्रम कारावास के खिलाफ उनके द्वारा दायर क्रीमिनल अपील की सुनवाई के दौरान 10 हजार रुपये का बांड भरने के बाद  जमानत का आदेश दिया गया. मीना देवी की क्रीमिनल अपील को हाइकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई के लिए दो सदस्यीय खंडपीठ के पास भेजा था.

मीना देवी को छपरा न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय विजय  आनंद तिवारी ने भादवि की धारा 304 (2) में 10 वर्ष  सश्रम कारावास और ढाई लाख रुपये का अर्थदंड तथा भादवि की धारा 308 में 7  वर्ष सश्रम कारावास और सवा लाख अर्थदंड की सजा सुनायी थी और दोनों सजा  अलग-अलग चलने का आदेश दिया था. साथ ही जुर्माने की रकम में आधी रकम मृत  बच्चों के परिजनों को और आधी रकम सरकार के खजाने में जमा करने का आदेश दिया  था.
प्राइम इन्वेस्टिगेशन के बाद मीना देवी पर मानव वध का आरोप लगाया गया था. निचली अदालत ने उन पर 23 बच्चों की हत्या के पर्याप्त  साक्ष्य के अभाव में उन्हें आजीवन कारावास की सजा नही दी थी. उनके अपने कार्य को सही रूप से नहीं करने और घोर लापरवाही बरतने का उन्हें दोषी माना गया था, जिसके कारण 23 बच्चों की जहरीले भोजन से मौत हुई थी. मीना देवी के वकील यदुवंश गिरि ने उनके लिए जमानत इस आधार पर मांगा कि उन पर 23 बच्चों के मरने के लिए सीधा आरोप नहीं लग सकता था.
16 जुलाई, 2013
विषाक्त मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की हुई थी मौत
16 जुलाई, 2013 को विद्यालय में रसोइया पाना देवी और मंजू कुंवर ने मिड डे मील बनाया था, जिसे खाने के बाद के बच्चे उल्टी करते हुए बेहोश होने लगे. उन्हें मशरक पीएचसी  और सदर अस्पताल में लाया गया, जहां 23 बच्चों ने दम तोड़ दिया था. मृत बच्चा आशीष कुमार के पिता आखिलानंद मिश्र ने मशरक  थाना कांड संख्या 154/13 में हेडमास्टर मीना देवी और उनके पति अर्जुन राय  को अभियुक्त बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पुलिस ने घटना के आठवें दिन 24 जुलाई को उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ की और अगले  दिन 25 जुलाई को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सीजेएम न्यायालय में  प्रस्तुत किया था. सीजेएम अनिल कुमार झा ने मीना देवी को रिमांड पर लेते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. इस मामले के सत्रवाद  811/13 में कोर्ट ने नौ जनवरी 2015 को शिक्षिका और उनके पति पर भादवि की  धारा 302, 307, 328, और 120 बी के तहत आरोप का गठन किया था. न्यायालय में मामला शुरू होने के 20 माह बाद 24 अगस्त, 2016 को  कोर्ट ने मीना देवी को दोषी करार दिया तो वहीं उनके पति अर्जुन राय को  साक्ष्य के अभाव में बरी किये जाने का आदेश दिया.  24 जुलाई, 2013 से मीना देवी जेल में ही कैद है.