जहाँ हिन्दू की पूजा और मुसलमान की नमाज़ कबूल होती है।

मध्य प्रदेश: इंसानी ज़िन्दगी में हर चीज़ को लेकर अपना हक़ जताने की खींचतान ज़मानों  से चली आ रही है। इसी खींचतान में कभी खून बहता है तो कभी घर जलते हैं लेकिन बहुत कम होता है कि किसी मजहबी लड़ाई का एक ऐसा हल निकल कर सामने आता है जिस से न सिर्फ सभी की परेशानी का हल निकल आता है बल्कि दोनों तरफ के लोगों को एक दूसरे को समझने का मौका भी मिलता है। 

ऐसा ही एक किस्सा है मध्यप्रदेश के धार जिले का एक ही जगह पर मौजूद कमल मौला मस्जिद और हिन्दू मंदिर भोजशाला के निशाँ बरसों पहले मिले थे। तब से लेकर ही आज तक इस जगह को लेकर दोनों मजहबों के लोगों में इस जगह पर हक़ को लेकर झगड़ा चल रहा है। इसी आपसी झगड़े के चलते पुलिस ने इस जगह सभी के लिए बंद कर दिया था और दोनों मजहब के लोगों को आस्पी रजामंदी से इस मसले का हल ढूंढने की हिदायत भी दी थी। लेकिन इस मसले का बातचीत के दौरान कोई हल न निकलने के बाद इस जगह पर सभी की एंट्री बंद कर दी गयी थी।

इलाके और देश के हिन्दू इस जगह को हिंदू धर्म की देवी सरस्वती का मंदिर मानते हैं जबकि देश के मुसलमान इसे कमल मौला मस्जिद मानते हैं।

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक 12 फ़रवरी को बसंत पंचमी के मौके पर इस जगह पर पूजा करना हिन्दुओं के लिए जरूरी है वहीं इलाके के मुस्लिम भी अपना जगह पर अपना हक़ जताने से पीछे नहीं हट रहे। ऐसे में इलाके के पुलिस ए.एस.आई ने बसंत पंचमी के दिन यह जगह दोनों मजहबों के लोगों के लिए खोलने का फैसला किया है। यह फैसला सिर्फ बसंत पंचमी के दिन ही लागू रहेगा इस दिन के दौरान इलाके के हिन्दू मंदिर में पूजा कर सकेंगे वहीं मुसलमान भी मस्जिद में अपनी नमाज़ अदा कर सकेंगे।