बिहार, झारखंड और ओडीशा में जहेज़ के ख़ाहिशमंद अफ़राद और नशे की आदत में शामिल अफ़राद के लिए अब शादियां करना मुश्किल होजाएगा क्यों कि यहां उल्मा ने फैसला किया है कि इस तरह के अफ़राद की शादियों का बाईकॉट किया जाएगा।
ये फैसला यहां क़ाज़ी मौलाना मंसूर आलम की जानिब से तलब किए जाने वाले एक इजलास में किया गया है क्यों कि मौलाना मंसूर आलम इमारत शरिया के ज़िलई यूनिट दारुलक़ज़ा के सदर हैं जो कि बिहार, झारखंड और ओडीशा में मज़हबी उमूर की निगरानी करता है।
ख़बररसां एजंसी पी टी आई से इज़हार ख़्याल और बाईकॉट के फैसला के मुताल्लिक़ तफ़सीलात बताते हुए उन्होंने कहा कि मज़कूरा बाला फैसला दरअसल इस्लाम में जिन उमूर से मना किया गया है इन लानतों में शामिल अफ़राद के ख़िलाफ़ सख़्त इक़दामात करना मक़सद है जो कि नशे की लानत और जहेज़ जैसी बुरी ख़ाहिश रखते हैं।
उल्मा ने ये भी फैसला किया है कि नालंदा ज़िला में एक मुहिम का आग़ाज़ किया जाएगा जिस के तहत मुक़ामी मसाजिद के आइम्मा कराम से अपील की जाएगी कि वो इस मुहिम में शामिल होते हुए अपने इलाक़ों में उन अफ़राद की शादी ना करें और उनकी शादियों का भी बाईकॉट करें जो कि नशे और जहेज़ के ख़ाहिशमंद हैं।
नालंदा चीफ मिनिस्टर नितीश कुमार का आबाई ज़िला है और यहां इस्लामी तालीमात जिस में नशा आवरी को हराम और जहेज़ को नापसंद किया गया है, इसके ख़िलाफ़ ये इक़दामात किए जा रहे हैं। मौलाना आलम के मुताबिक ये बाईकॉट और इस पर सख़्ती से अमल आवरी की वजह दरअसल नौजवानों में नियम की बढ़ती आदत और जहेज़ की तलब में इज़ाफे़ की रोक थाम के लिए की जा रही है। उन्होंने मुसल्मानों से मांग किया कि वो अपनी शादियों को शरियत के मुताबिक़ अंजाम दें।