सी पी आई ( एम ) ने सुप्रीम कोर्ट की जानिब से जहेज़ मुख़ालिफ़ क़ानून पर दिए गए फैसला को अफ़सोसनाक क़रार दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जहेज़ जैसे अहम मुआमला पर मौजूदा क़ानून को खत्म करदिया।
सी पी आई (एम) की सीनियर लीडर बृंदा कर्त ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जानिब से ये एक अफ़सोसनाक फैसला है जिस ने जहेज़ के ख़िलाफ़ मौजूदा क़ानून को बेकार करदिया। सुप्रीम कोर्ट को ये इख़्तयारात नहीं हैं कि वो एक लायक़ ताज़ीर जुर्म को नाक़ाबिल ताज़ीर जुर्म में तब्दील करदे। बृंदा करात फ़ाज़िल अदालत की जानिब से इंसिदाद जहेज़ सतानी क़ानून के ग़लत इस्तिमाल के बारे में अदालत की जानिब से ख़्यालात का इज़हार करने के बाद अपने रद्द-ए-अमल का इज़हार कररही थीं।
उन्होंने कहा कि ये फैसला एक ऐसे वक़्त आया है जब बीवीयां इस क़ानून का फ़ायदा उठा कर कभी कभी बेक़सूर शौहरों को भी फंसा देती हैं। अदालत का ये फैसला देना भी नाक़ाबिल फ़हम है कि पुलिस शौहर और ससुराली रिश्तेदारों को ख़ुद से गिरफ़्तार नहीं करसकती। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला एक शख़्स की जानिब से दाख़िल करदा शिकायत के बाद दिया गया है। जो बिहार का शहरी है और उसने इद्दिआ किया था कि इंसिदाद जहेज़ सतानी क़ानून के बलबूते पर उसे हिरासाँ किया जा रहा है।
बृंदा करात ने कहा कि अदालत के फैसले से उन ख्वातीन के साथ नाइंसाफ़ी हुई है जो जहेज़ के नाम पर ज़ुल्म-ओ-सितम का शिकार हैं। उन्होंने मुतालिबा किया कि हुकूमत बिहार को इस फैसला को चैलेंज करना चाहिए।