ज़रूर पढ़ें : कैसे व्यक्तिगत वजहों के चलते मुस्लिम युवकों को IS का मेंबर बताया जा रहा है !

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एक प्राइवेट फर्म में फाइनैंस एग्जिक्युटिव के रूप में काम करने वाले खलील अहमद की ऑफिस में एक महिला से अफेयर को लेकर अपने सहयोगी से बहस हो गई थी। एक हफ्ते बाद एटीएस की टीम प्रतिबंधित आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट से ‘संबंध’ होने की जांच के लिए उनके घर पहुंच गई। कुछ ऐसा ही शाहिद कमाल के साथ भी हुआ। पेशे से तकनीकी विशेषज्ञ शाहिद को मुंबई के लिए फ्लाइट पकड़नी थी, लेकिन क्राइम ब्रांच ने उन्हें आईएस से ‘संबंध’ होने के चलते पकड़ लिया। गोवंडी के नूर खान अपने कमरे में सो रहे थे जब पुलिस ने उनका दरवाजा खटखटाया और आईएस से उनके ‘रिश्ते’ और ‘फंडिंग’ को लेकर सवाल किए गए। पुलिस को उनके रूम में लगे एसी को लेकर हवाला ‘फंडिंग’ की गुप्ता सूचना मिली थी।

बीते एक साल में घटित हुए ये सभी मामले बताते हैं कि व्यक्तिगत वजहों के चलते कैसे मुस्लिम युवकों को आईएस में भर्ती कराने वाले, उसके प्रति सहानुभूति रखने वाले या सक्रिय सदस्य के रूप पेश किया जा रहा है। पिछले आठ महीनों में महाराष्ट्र एटीएस, क्राइम ब्रांच और मुंबई पुलिस को ऐसी 300 झूठी शिकायतें मिली हैं। इनमें विखरोली मस्जिद के 80 साल के एक इमाम का मामला भी शामिल है। जिन लोगों के खिलाफ शिकायतें की गईं उनमें से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया और पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। लेकिन इन घटनाओं की वजह से पीड़ितों के परिवारों को आघात पहुंचा जिन्हें उनके क्लीन चिट मिलने तक काफी कुछ झेलना पड़ा।

जॉइंट पुलिस कमिश्नर देवेन भारती का कहना है, ‘हम सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। हमने किसी एक व्यक्ति को भी गिरफ्तार नहीं किया है जिसके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई गई थी।’ उन्होंने कहा, ‘कुरला में एक कबाब-पाव बेचने वाले व्यक्ति के बारे में कहा गया कि वह आईएस के लोगों के संपर्क में है जिन्होंने उसके साथ घंटों बैठकर कुछ ‘योजनाएं’ बनाईं। हमने उस व्यक्ति से सवाल किए, लेकिन कुछ नहीं मिला। जल्द ही पता चला कि उसका स्टॉल किराने की एक दुकान के मालिक के लिए बड़ी अड़चन बन गया था जिससे उसे ग्राहकों का नुकसान उठाना पड़ रहा था। दुकान के मालिक को समन भेजा गया था।’ व्यक्तिगत दुश्मनी, ईर्ष्या, व्यापारिक मुकाबला, पार्किंग के झगड़े, पड़ोस से परेशानी लोगों को आईएस से जोड़ कर बताने वाले मुख्य कारणों में से हैं।

डीसीपी और पुलिस के प्रवक्ता धनंजय कुलकर्णी ने कहा, ‘अगर ए को बी से कोई समस्या है तो वह पुलिस को पत्र भेज देता है और कुछ समय के लिए ए को परेशानियों और पुलिस की पूछताछ का सामना करना पड़ता है। आप पुलिस को दोष नहीं दे सकते क्योंकि वह सिर्फ अपना काम कर रही है और कुछ भी नहीं मिलने पर उन्हें छोड़ रही है।’

कल्याण के कुछ युवकों के आईएस में शामिल होने के लिए इराक जाने की खबर के बाद महाराष्ट्र में इस संगठन का नाम सामने आया था। बाद में एजेंसियों ने पूरे देश में आईएस के कई मॉड्यूल का पता लगाकर अब तक कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से कई आईएस में शामिल होने की योजना बना रहे थे। कई भारतीय मुस्लिमों ने आईएस को ‘मानवता और धर्म विरोधी’ बताते हुए उसके खिलाफ फतवे जारी किए हैं।

सोर्स: नवभारत के लिए , मतीन हाफिज, मुंबई