ज़ालिमाना क़वानीन से दसतबरदारी और‌ सियासी कैदियों की रिहाई का मुतालिबा

बैन उल-अक़वामी यौमे इंसानी हुक़ूक़ के मौके पर यासी कैदियों की रिहाई का मुतालिबा करते हुए कमेटी बराए रिहाई सियासी कैदियों के ज़ेर-ए-एहतिमाम ज़ालिमाना क़वानीन से दसतबरदारी इख़तियार करने का मुतालिबा करते हुए क़ौमी कनवेनशन का इनइक़ाद अमल में आया ।

इस कनवेनशन में सय्यद अबदुर्रहमान गीलानी , जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी , प्रोफेसर हर गोपाल , पी वेंकटेश्वर राव‌ ,प्रोफेसर जगमोहन , लतीफ़ मुहम्मद ख़ान , प्रोफेसर रेहाना सुलताना , के अलावा दुसरे इंसानी हुक़ूक़ के जहदकार मौजूद थे । जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी ने इस कनवेनशन से ख़िताब के दौरान कहा कि सयासी कैदियों की रिहाई के लिए कोशिश करना नागुज़ीर है चूँके इसमें बेशतर सयासी इख़तिलाफ़ात , फ़िक्री अदम हम आहंगी की बुनियाद पर कैद होते हैं ।

उन्होंने बताया कि जबतक उनपर इल्ज़ामात साबित नहीं हो जाते उन्हें मुक़य्यद रखना भी इंसानी हुक़ूक़ की ख़िलाफ़वरज़ी के मुतरादिफ‌ है । जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि इस मसले पर खुले मुबाहिस की ज़रूत है और हुकूमत के साथ साथ वुकला बिरादरी और क़ानून से मुताल्लिक़ तमाम लोगों को इन मुबाहिस का हिस्सा बनना चाहीए ताके बरसों से कैद अफ़राद की रिहाई को यक़ीनी बनाने के इक़दामात किए जा सकें।

उन्होंने बताया कि हुकूमत की बदउनवानीयों-ओ-बे क़ाईदगियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों को निशाना बनाते हुए उन्हें कैद किया जाता है जोके दरुस्त नहीं इस तरह के कई वाक़ियात हमारे सामने आचुके हैं। प्रोफेसर
हर गोपाल ने इस मौके पर अपने ख़िताब के दौरान कहा कि हुकूमत को मसाइल के बुनियादी हल पर तवज्जे मबज़ूल करने की ज़रूरत है चूँके बुनियादी हल के लिए सिर्फ़ किसी को फांसी पर चढ़ादीना काफ़ी नहीं है ।

उन्होंने आज एक एसा प्लेटफार्म तयार किया जाये जोकि इस काज़ के लिए मुस्तक़िल जद्द-ओ-जहद जारी रखने वाला साबित होम् यह वक़्त की अहम ज़रूरत है । प्रोफेसर हर गोपाल ने बताया कि आज हम पर अमरीका की हुकूमत चल रही है और अमरीका की बात मानी जा रही है मगर ये पूछने की जुर्रत नहीं है कि अमरीका कौन होता है हम पर अपनी चलाने वाला ! ।

प्रोफेसर रेहाना सुलताना ने इस मौकके पर मुख़ातिब करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान में जम्हूरियत का मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है और सब ख़ामोश तमाशाई बने हुए हैं ।

उन्होंने कांस्टेबल अबदुलक़दीर की रिहाई का मुआमला उठाते हुए बताया कि अब जबके ये सूरत-ए-हाल होचुकी है कि उस की सज़ा की तकमील और नासाज़ी सेहत की बना पर परेशान है इस के बावजूद वो कैद-ओ-बंद की ज़िंदगी गुज़राने पर मजबूर है ।

इस कनवेनशन में सिविल लिबर्टीज़ मॉनीटरिंग कमेटी की तरफ से यू ए पी ए की बरख़ास्तगी का मुतालिबा करते हुए लतीफ़ मुहम्मद ख़ान ने कहा कि मुलक में यू पी ए हुकूमत है लेकिन यू ए पी ए के ज़रीया दलितों , मुसलमानों और दुसरे पसमांदा तबक़ात को दहश्तगर्दी के नाम पर हिरासाँ किया जा रहा है ।

उन्होंने इन क़वानीन से दसतबरदारी का मुतालिबा क्या । पी वेंकटेश्वर राव‌ ने इस मौकके पर अपने ख़िताब के दौरान कहा कि आलमी सतह पर सब से वसी जम्हूरियत में कैदियों के हुक़ूक़ सल्ब किए जा रहे हैं जोके एक संगीन मसला है ।

उन्होंने बताया कि इस मसले के हल के लिए अवाम , सयासी जमातों , तनज़ीमों को मुत्तहदा तौर पर जद्द-ओ-जहद की ज़रूरत है ताकि इंसानी हुक़ूक़ की बुनियाद पर सयासी कैदियों की रिहाई के इक़दामात को यक़ीनी बनाया जा सके ।