हैदराबाद 04 अप्रैल: मुहम्मद महमूद अली डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर हुकूमत तेलंगाना ने ज़ाहिद अली ख़ान एडिटर सियासत की मिली समाजी तालीमी और अज़ीम सहाफ़ती ख़िदमात को ज़बरदस्त ख़िराज-ए-तहिसीन पेश करते हुए कहा कि उन्होंने जज़बा ख़ुलूस और नेक नीयती के साथ ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ शोबों में मुसलमानों की हौसला-अफ़ज़ाई की है और अपने तारीख़ साज़ कारनामों के ज़रीये मुल्क भर में नुमायां मुक़ाम हासिल किया है। उन की ख़िदमात के लिए जो एवार्ड्स पेश किए गए हैं वो एवार्ड्स उन के लिए कोई एज़ाज़ नहीं बल्के ज़ाहिद साहिब को एवार्ड्स पेश करने में एवार्ड्स की क़दर-ओ-क़ीमत में इज़ाफ़ा हुआ है।
इन ख़्यालात का इज़हार मुहम्मद महमूद अली ने कल शाम एवान फ़नकार-ओ-फ़ोलस पैराडाइस कल्चरल एंड वेलफेयर सोसाइटी हैदराबाद के ज़ेरे एहतेमाम उर्दू हाल हिमायतनगर में मुनाक़िदा जलसा एतराफ़ ख़िदमात-ओ-तहनियत को मुख़ातिब करते हुए किया। शाम सौग़ात से मौसूम इस जलसे में दानिशवरों और मुक़र्ररीन किराम ने ज़ाहिद अली ख़ान की ग़ैरमामूली ख़िदमात पर इज़हार-ए-ख़याल किया।
किंग शॉग नागरेजिडेंट एडिटर टाइम्स आफ़ इंडिया हैदराबाद ने सदारत की। डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर ने सिलसिला तक़रीर जारी रखते हुए कहा कि ज़ाहिद साहिब के कारनामों की एक तवील फ़हरिस्त है। उन्होंने 3000 से ज़ाइद लावारिस मुस्लिम लाशों की तदफ़ीन के ज़रीये एक बेहतर ख़िदमत अंजाम दी है। मुस्लिम लड़कों और लड़कीयों की शादीयों के सिलसिले में रिश्ते तए करने के लिए उन्होंने दु बा दु मुलाक़ात प्रोग्राम का आग़ाज़ किया जिसके ज़रीये सैंकड़ों पयामात तए हुए हैं। इस प्रोग्राम से इस्तेफ़ादा के लिए मुल्क की रियासतों बल्के अमरीका में मुक़ीम हैदराबादी ख़ानदान भी इस्तेफ़ादा कर रहे हैं। फुज़ूलखर्ची और इसराफ़ से बचने के लिए ज़ाहिद साहिब ने एक खाना और एक मीठा का जो नारा दिया है इस से मालूम होता है कि ज़ाहिद अली ख़ान मिल्लत-ए-इस्लामीया के रहबर ही नहीं बल्के एक रिफॉर्मर भी हैं। महमूद अली ने इन्किशाफ़ किया कि इन की अपनी पौत्री की शादी मस्जिद में की गई और काबीनी वुज़रा और रियासत के आला ओहदेदार और ख़ुद चीफ़ मिनिस्टर भी इस सादा तक़रीब में शरीक रहे।
ये कोई मामूली कारनामा नहीं है। इस का सहरा ज़ाहिद अली ख़ान के सर जाता है। मुहम्मद महमूद अली ने कहा कि तेलंगाना तहरीक में रियासत के कई अख़बारात ने दोहरा मयार इख़तियार किया था लेकिन सियासत वो वाहिद अख़बार है जो इब्तेदा ही से तेलंगाना तहरीक की मुकम्मिल ताईद करता रहा है।
तेलंगाना की तशकील में ज़ाहिद अली ख़ान और सियासत के तारीख़ी रोल को कभी भी फ़रामोश नहीं किया जा सकेगा। सियासत ने मिल्लत के हर मसले पर आवाज़ उठाई है इस लिए सियासत को एक अख़बार ही नहीं बल्के एक मिशन और एक तहरीक की हैसियत हासिल है।
किंग शक नाग ने अपनी सदारती तक़रीर में ज़ाहिद अली ख़ान को एक बाविक़ार सहाफ़ी और सोश्यल रिफॉर्मर क़रार दिया। उन्होंने कहा कि ज़ाहिद साहिब की शख़्सियत में स्ंतुलन और मिलनसारी जैसे खूबियां नुमायां हैं। उनकी मुलाक़ात 1991 से है। उन्हें साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म पी वी नरसिम्हा राव के बैरूनी दौरे में ज़ाहिद साहिब से क़रीब होने का मौक़ा मिला और ज़ाहिद साहिब सियासत के एडिटर होने के बावजूद ज़िंदगी के मुआमलात में सियासत नहीं करते और सियासत के दाओ पेज से उन्होंने हमेशा अपने दामन को बचाए रखा।
अवामी मसाइल पर उनकी गहिरी नज़र है अलाहिदा तेलंगाना की जद्द-ओ-जहद में उन के अख़बार ने राय आम्मा की तशकील में सियासतदानों से ज़्यादा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। सहाफ़त से वाबस्ता होने के बावजूद वो अपने ख़िदमत-ए-ख़लक़ के मिशन को जारी रखे हुए हैं।
प्रशांत चिंताला रेजिडेंट एडिटर दी हिंदू प्रोफेसर अनीस उल-हक़ क़मर मौलाना आज़ाद मिशन नांदेड़ और मुहम्मद अबदुर्रहीम ख़ान मोतमिद अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू ने मेहमानान ख़ुसूसी की हैसियत शिरकत की।
इब्तेदा में डॉ हुमैरा सईद ने ख़ुतबा इस्तिक़बालीया पेश किया। डॉ मुईन अमर बंबू ने फ़ोलस पैराडाइस कल्चरल एंड वेलफेयर सोसाइटी का तआरुफ़ करवाया। डॉ जावेद कमाल कन्वीनर जलसा ने अशआर के ज़रीये निहायत उम्दगी के साथ कार्रवाई चलाई। जलसे का आग़ाज़ हाफ़िज़-ओ-क़ारी सय्यद शौकत उल्लाह ग़ौरी की किराते कलाम से हुआ। डॉ तय्यब पाशाह कादरी ने बारगाह सालत में हदया नाअत पेश किया।
ज़ाहिद अली ख़ान एडिटर सियासत ने उनके एज़ाज़ में पेश करदा तहनियत और मुक़र्ररीन के तास्सुरात पर अपने रद्द-ए-अमल का इज़हार करते हुए कहा कि वो एक मामूली इन्सान हैं और उनके बारे में जिन ख़्यालात का इज़हार किया गया है वो ख़ुद को इस का अहल नहीं समझते लेकिन उन की आरज़ू रही है कि वो ग़रीबों की ख़िदमत करें खासतौर पर मुसलमानों की ख़िदमत करना उनका लायेहा-ए-अमल है। आज मुस्लमान बेशुमार मसाइल से दो-चार हैं। तालीमी पसमांदगी ने मिल्लत-ए-इस्लामीया को कई महरूमियों से दो-चार कर दिया है। मआशी हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं हमारा समाजी रुत्बा कमज़ोर और ग़ैर-मुस्तहकम है। इन हालात का मुक़ाबिला करने के लिए हर दर्दमंद इन्सान को कोशिश करना चाहीए।
उन्होंने कहा कि उनकी ख़िदमात के सिलसिले में उन्हें अमरीका में कारनामा हयात एवार्ड दिया गया। लंदन में भी उन्हें एवार्ड से नवाज़ा गया। दिल्ली में मुहम्मद अली जोहर एवार्ड दिया गया लेकिन मुस्लिम मिरर एवार्ड की एहमीयत इस लिए ज़्यादा है कि ये एवार्ड अमरीका की एक बड़ी शख़्सियत फ्रैंक इस्लाम के हाथों हासिल करने का मौक़ा मिला जो एक बड़े सनअत कार हैं।