मुंबई, ०९ नवंबर ( एजेंसी) आम तौर पर ज़ुकाम को एक मामूली बीमारी समझ कर इस पर ज़ाइद तवज्जा नहीं दी जाती लेकिन ज़ुकाम को मामूली समझना ही सबसे बड़ी ग़लती साबित हो सकती है । सेहत अल्लाह की देन है और उस की तरफ़ से ग़फ़लत बरतने का बहुत बड़ा ख़मयाज़ा भुगतना पड़ता है ।
पुराने बुज़ुर्गों का कहना है कि छींक का आना ज़ुकाम का होना इस बात की अलामत (पहचान/ ल्क्षण) है कि आप सेहत मंद हैं लेकिन सेहत मंद होने ग़रूर में मुबतला होकर अगर लापरवाही बरती जाए तो यही ज़ुकाम निमोनिया और डबल निमोनिया में तबदील होकर हमारी जान ले लेता है ।
ज़ुकाम के दौरान बहुत ज़्यादा ठंडे पानी के इस्तेमाल से गुरेज़ ( परहेज) करना चाहीए यही नहीं बल्कि सर्द और गर्म अशीया ( चीज़ों) को फ़ौरी तौर पर या मामूली वक़फ़ा से भी इस्तेमाल नहीं करना चाहीए । कुछ लोग चाय पीने से क़बल ठंडा पानी पीते हैं और उसके फ़ौरी ( फौरन) बाद चाय पीते हैं ।
ज़रा सोचिए! पानी ठंडा और चाय गर्म एक दूसरे से मुतज़ाद (एक दूसरे से विरुद्व) तासीर रखने वाले ये मशरूबात आप को फ़ायदा हरगिज़ नहीं पंचा सकते बल्कि आप के जिस्म के निज़ाम को दरहम बृहम (परेशान) ज़रूर कर देते हैं । ज़रूरत इस बात की है कि ना सिर्फ़ ज़ुकाम के दौरान बल्कि आम दिनों में भी सर्दगर्म अशीया ( खाने पीने की चीजें) के एक साथ इस्तेमाल से गुरेज़ करना चाहीए ।
सर्द पानी से ग़ुसल करना भी ज़ुकाम के दौरान मुनासिब नहीं है क्योंकि निमोनिया अगर डाक्टरों के बस से बाहर हो गया तो ये डबल निमोनिया में तबदील होकर आप को आप की ग़फ़लत की ज़बरदस्त सज़ा दे सकता है । सेहत मंद रहिए और ज़ुकाम से चौकन्ना रहिए क्योंकि कोई भी छोटी बीमारी बड़ी होने में देर नहीं लगाती।