नई दिल्ली
इस्तिर्दाद के ख़िलाफ़ मर्कज़ की सुप्रीम कोर्ट में नज़र-ए-सानी दरख़ास्त
मर्कज़ी हुकूमत ने सुप्रीम कोर्ट में दरख़ास्त नज़र-ए-सानी दायर की है। हुकूमत ने अदालत से इस्तिदा की है कि वो साबिक़ा यू पी ए हुकूमत के एक आलामीया को कुलअदम क़रार देने अपने फैसले पर नज़र-ए-सानी करे। इस आलामीया के ज़रीया जाट बिरादरी को ओ बी सी ज़मुरा में शामिल किया गया था ताकि उन्हें भी तहफ़्फुज़ात के फ़वाइद हासिल हो सकीं।
एन डी ए हुकूमत ने चंद दिन क़ब्ल जाट बिरादरी के एक वफ़द की जानिब से वज़ीरे आज़म नरेंद्र मोदी से की गई नुमाइंदगी के बाद अदालत में ये दरख़ास्त दायर की है। वज़ीरे आज़म ने जाट वफ़द को ये तैक़ून दिया था कि वो अपनी जानिब से हर मुम्किन कोशिश करेंगे ताकि इस मसला का क़ानून के दायरा में रहते हुए कोई हल दरयाफ़त किया जा सके।
मर्कज़ी हुकूमत ने अपनी दरख़ास्त नज़र-ए-सानी में कहा है कि उसे ये इख़तियार है कि वो किसी एक बिरादरी को तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने के लिए इक़दामात करे और इस के लिए इसे क़ौमी कमीशन बराए पसमांदा तबक़ात की राय यह मश्वरा की ज़रूरत नहीं है। एडीशनल सालीसीटर जनरल महेंद्र सिंह ने कहा कि दरख़ास्त नज़र-ए-सानी अदालत में कल पेश की गई है।
अदालत ने इस सिलसिले में कुछ जाट तलबे की दरख़ास्त मुस्तरद करदी थी जिन्होंने ओ बी सी ज़मदा में मैडीकल और डेंटल कोर्सेस में तहफ़्फुज़ात का मुतालिबा किया था। अदालत ने ताहम कहा था कि क़ौमी कमीशन बराए पसमांदा तबक़ात के मश्वरा पर मर्कज़ी हुकूमत अमल करसकती है। मर्कज़ का कहना था कि जाट बिरादरी को ओ बी सी ज़मुरा में शामिल करने का फैसला तफ़सीली सलाह-ओ-मश्वरे के बाद किया गया था।