हरयाणा : जाट आंदोलन के दौरान हिंसा के लिए पीड़ित लोग नेताओं-अफसरों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वे अब किसी की नहीं सुनना चाहते…सियासत चमकाने के बहाने नेताओं के हमदर्दी के राग को वो भांप चुके हैं। उपद्रव के दौरान पुलिस की नाकामी जांच के लिए पूर्व आईपीएस प्रकाश सिंह के नेतृत्व में गठित कमेटी शुक्रवार को रोहतक पहुंची तो पीड़ितों के मन का गुबार फूट गया। लोगों ने कहा कि हमारा सब कुछ जलता रहा और पुलिस देखती रही। उधर, जब टीम के साथ डीसी डीके बेहेरा वित्त मंत्री के आवास पर पहुंचे तो उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वित्त मंत्री की बहन ने डीसी से सवाल किया जिस दिन उपद्रवी हमें जिंदा जलाने पर उतारू थे तो आप कहां थे।
आपने एक बार भी हम लोगों का फोन नहीं उठाया। इसके बाद अचानक डीसी की कार पर वहां मौजूद लोगों ने लात-घूसों की बरसात कर दी।
एक न्यूज़ पोर्टल के अनुसार इससे पहले, उपद्रव के दौरान कोताही बरतने वाले अफसरों और कर्मचारियों की जांच के लिए गठित आयोग की टीम शुक्रवार सुबह रिटायर्ड आईपीएस प्रकाश सिंह और एडीजीपी के.पी. सिंह के नेतृत्व में रोहतक पहुंची। आयोग के सदस्यों ने पीड़ितों से बातचीत की और अधिकारियों की कार्रवाई का फीडबैक लिया। सदस्यों ने पीड़ितों से नुकसान और उपद्रवियों के बारे में पूछताछ कर सबूत जुटाए। इस दौरान किसी ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए तो किसी ने प्रशासन पर। आयोग के अध्यक्ष ने पीड़ितों को लिखित में बयान लेकर शनिवार को कैनाल रेस्ट हाउस में बुलाया है। प्रकाश सिंह निरीक्षण के लिए वित्तमंत्री की कोठी में गए तो एसपी व डीसी को बाहर ही रोक दिया गया। प्रकाश सिंह ने वित्तमंत्री के घर में मौजूद उनकी बहन और अन्य रिश्तेदारों से बातचीत की।