जानिए कौन है कोडनानी और बजरंगी

नरोडा पाटिया नरसंहार गोधरा ट्रेन अग्निकांड के अगले दिन 28 फरवरी 2002 को हुआ था। गुजरात दंगों के दौरान क्रूरतम घटनाओं में से एक इस नरसंहार में दंगाइयों ने नरोडा पाटिया इलाके को घेर कर 97 लोगों की हत्या कर दी थी। गवाहों ने कोर्ट में बताया कि इस भीड़ की अगुआई तत्कालीन बीजेपी विधायक माया कोडनानी ने की थी।
इस दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे। नरोडा पाटिया कांड का केस अगस्त 2009 में शुरू हुआ और 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए। सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए।

नरोडा पाटिया दंगों के मामले में विशेष अदालत ने जिन 32 लोगों को दोषी माना है, उनमें माया कोडनानी का भी नाम शामिल है। माया कोडनानी पहली महिला वर्तमान विधायक हैं, जिन्हें गोधरा दंगों के बाद सजा हुई है। माया कोडनानी को अपराधिक साजिश, हत्या, हत्या के प्रयास के तहत दोषी करार दिया गया था। गवाहों ने अदालत में बताया कि तत्कालीन विधायक माया कोडनानी ने भीड़ को उकसाया था।

माया का परिवार बंटवारे से पहले पाकिस्तान के सिंध में रहता था लेकिन बाद में गुजरात आकर बस गया। पेशे से माया कोडनानी गाइनकॉलजिस्ट थीं। माया आरआरएस की सदस्य बन गईं। वह डॉक्टर के तौर पर ही नहीं आरएसएस की कार्यकर्ता के तौर पर भी जानी जाती थीं। नरोडा में उनका अपना मैटरनिटी हॉस्पिटल था लेकिन वह स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गईं। माया कोडनानी नरेंद्र मोदी और आडवाणी की भी करीबी मानी जाती रही हैं। 1998 तक माया नरोडा से विधायक बन गईं लेकिन 2002 के गुजरात दंगों में जब उनका नाम सामने आया तो उनकी साख को धक्का लगा।

2002 में गुजरात विधानसभा चुनाव उन्होंने जीता। 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया कोडनानी फिर जीत गईं और जल्द ही गुजरात सरकार में मंत्री भी बन गईं। माया कोडनानी 2007 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद प्रदेश सरकार में महिला व बाल विकास मंत्री बनीं। 2009 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष टीम ने उन्हें पूछताछ के लिए समन किया। बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

विश्व हिंदू परिषद का नेता बाबू बजरंगी नरोडा पाटिया के पीड़ितों पर हमला करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने का आरोपी था। तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में उसे नरसंहार में अपना रोल स्वीकार करते हुए कैमरे में कैद किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की और गुजरात दंगों से संबंधित बाकी मामलों की जांच के लिए 2009 में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया। दंगों के कुछ साल बाद बाबू बजरंगी शिवसेना में शामिल हो गया था।