जाने-माने संतगुरू संत रविदास जी ने अपना सारा जीवन इन्सानियत का संदेश देने में गुज़ारा: मायावती

नई दिल्ली: “मन चंगा तो कठौती में गंगा’’ का आदर्श व सच्चा मानवतावादी अमर संदेश सर्वसमाज को देने वाले महान संतगुरू संत रविदास जी की जयन्ती के मौके़ पर आमजनता व ख़ासकर उनके करोड़ों अनुयाईयों को शत्-शत् बधाई देते हुये बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के संतों में जाने-माने संतगुरू संत रविदास जी ने अपना सारा जीवन इन्सानियत का संदेश देने में गुज़ारा और इस क्रम में ख़ासकर जातिभेद के ख़िलाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते रहे।

सन्त रविदास जयन्ती पर जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि आज के संकीर्ण व जातिवादी दौर में उनके मानवतावादी संदेश की बहुत ही ज़्यादा अहमियत है और मन को हर लिहाज़ से वाक़ई चंगा करने की ज़रूरत है।

संत रविदास जी, वाराणसी में छोटी समझी जाने वाली जाति में जन्म लेने के बावजूद भी प्रभु-भक्ति के बल पर ब्रम्हाकार हुये। एक प्रबल समाज सुधारक के तौर पर वे आजीवन कड़ा संघर्ष करके हिन्दू धर्म में व्याप्त वर्ण-व्यवस्था की कुरीतियों के ख़िलाफ व उसमें सुधार लाने का पुरज़ोर कोशिश करते रहे थे।

संत रविदास जी जाति-भेदभाव पर कड़ा प्रहार करते हुये कहते हैं कि ’’देश की एकता, अखण्डता, शान्ति, संगठन एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये जाति रोग का समूल नष्ट होना आवश्यक है। मानव जाति एक है। इसलिये सभी प्राणियों को समान समझकर प्रेम करना चाहिये।’’ यही कारण है कि मीराबाई तथा महारानी झाली ने संत रविदास को अपना गुरू स्वीकार किया। उनका मानना था कि ’’जाति-पांति व मानवता के समग्र विकास में बड़ा बाधक है।’’ वे कहते हैं कि: ’’जाति-पांति के फेर में, उलझि रहे सब लोग। मानुषता को खात है, रैदास जात का रोग’’

मायावती ने कहा कि अपने कर्म के बल पर महान संतगुरू बनने वाले संत रविदास जी ने सामाजिक परिवर्तन व मानवता के मूल्यों को अपनाने व उसके विकास के लिये लोगों में जो अलख जगाया, उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। यही कारण है कि आज हर जगह बड़ी संख्या में उनके अनुयायी मौजूद हैं।

ऐसे महान संतगुरू के आदर-सम्मान में व उनकी स्मृति को बनाये रखने के लिये बी.एस.पी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में जो कार्य किया उनमें संत रविदास जी के नाम पर भदोही ज़िले का नामकरण, संत रविदास की जन्म नगरी वाराणसी में संत रविदास पार्क व घाट की स्थापना, फैज़ाबाद में संतगुरू रविदास राजकीय महाविद्यालय का निर्माण, वाराणसी में ही संत रविदास जी की प्रतिमा की स्थापना, संत रविदास सम्मान पुस्कार की स्थापना आदि प्रमुख हैं।

इसके साथ ही, संत रविदास पालीटेक्निक, चन्दौली की स्थापना, संत रविदास एस.सी/एस.टी प्रशिक्षण संस्थान, वाराणसी में गंगा नदी पर बनने वाले पुल का नाम संत रविदास के नाम पर करने तथा बदायूँ में संत रविदास धर्मशाला हेतु सहायता, बिल्सी में संत रविदास की प्रतिमा स्थापना की स्वीकृति आदि। इसके अलावा भी और कई कार्य महान संतगुरू के आदर-सम्मान में बीएसपी की सरकार के दौरान किये गये।

मायावती ने कहा कि ख़ासकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेताओं को चाहिये कि वे महान संतगुरू संत रविदास की अमरवाणी को ईमानदारी व निष्ठापूर्वक अपने जीवन में उतारें और आज उनके जन्मदिन वर केवल उनका स्मरण करने की परम्परा का दिखावा करनेे के बजाय उनके आदर्शों पर सही ढंग से चलकर जनता के हित व कल्याण पर खास ध्यान दें ना कि हिंसा में लिप्त होकर सत्ता का दुरूपयोग करें जैसाकि उत्तर प्रदेश में विशेष तौर पर हो रहा है जिसका जीता-जागता प्रमाण कासगंज की लगातार जारी हिंसक घटना हैं जहाँ बिना उचित सरकारी अनुमति के ही ’’या़त्रा’’ आदि निकालने का समर्थन करके बीजेपी सरकार एटा जिले में कासगंज की साम्प्रदायिक हिंसा को सही ठहराने का प्रयास कर रही है जोे सीधे तौर पर न्याय का गला घोंटने का प्रयास है।