जापान में शोको असहारा को फांसी दे दी गई. खुद को धर्मगुरु कहने वाला असहारा जहरीली गैस का इस्तेमाल कर आम लोगों को मारने के मामले का दोषी था.
भारत में राम रहीम, आसाराम, रामपाल और राधे मां सरीखे कई बाबाओं पर मुकदमे चल रहे हैं. कुछ मामलों में सजा भी हो चुकी है. अब जापान में भी इसी तरह का एक मामघला सामने आया है, जहां एक तथाकथित धर्मगुरु असहारा और उसके साथ उनके छह अन्य समर्थकों को फांसी दी गई.
जापान की राजधानी टोक्यों में 20 मार्च 1995 में एक भयावह घटना घटी थी. सुबह-सुबह लोग अंडरवे से अपने दफ्तरों की ओर जा रहे थे, तभी पांच लोग सरीन गैस सिलेंडर के साथ वहां दाखिल हुए. उन्होंने लोगों पर गैस का छिड़काव शुरू किया जिससे दर्जनों लोग मारे गए और कई जख्मी हुए.
यह वहीं गैस थी जिसे दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाजियों ने इस्तेमाल किया था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह हादसा इतना भयंकर था कि इमरजेंसी सेवाओं की मदद से करीब 688 लोगों को अस्पताल ले जाया गया. वहीं करीब पांच हजार से अधिक लोग अपने वाहनों से अस्पताल गए.
जापान टाइम्स के मुताबिक मामले की जांच में पता चला कि ये सारा कांड एक बाबा के दिमाग की उपज था, जिसका नाम था शोको असहारा. उसका कहना था कि ये ऐसी घटना है जिसे टाला नहीं जा सकता था. असहारा के मुताबिक यह अमेरिका और जापान के बीच तीसरे विश्वयुद्ध का कारण बनता.
असहारा स्वयं को बुद्ध का अवतार मानता था. उसके अनुयायी मानते थे कि वह इकलौता ऐसा व्यक्ति होगा जो भविष्य के परमाणु युद्ध में बच सकेगा और उसके अनुयायी उसके साथ शंभाला के पवित्र राज्य में रहेंगे.
शोको असहारा का जन्म साल 1955 में हुआ था. उसके घर में चटाई बनाने का काम होता था. बचपन से ही वह आंशिक रूप से दृष्टिहीन था. स्कूल में अक्खड़ स्वभाव का असहारा अपने अन्य साथियों को काफी डराता धमकाता भी था. उसने एक्यूपंक्चर और पारंपरिक चीनी दवाओं पर अपना स्नातक किया.
साल 1981 में इसे बिना लाइसेंस दवा बेचने का दोषी भी पाया गया. इस बीच असहारा की रुचि ज्योतिष और ताओवाद की तरफ बढ़ी और साल 1987 में उसने आउम शिनरिक्यो के नाम से अपना योग स्कूल शुरू किया. बाइबिल और वज्रायन शास्त्रों के आधार पर उसने अपने सिद्धांत लिखे और साल 1992 में स्वयं को मसीहा घोषित कर दिया.