जापान मुहाजिरीन को सियासी पनाह क्यों नहीं देता?

जापान में गुज़िश्ता बरस सियासी पनाह के लिए तक़रीबन साढे़ सात हज़ार दरख़ास्तें जमा कराई गईं, जिनमें से सिर्फ ग्यारह का मुसबत फ़ैसला सामने आया। आख़िर क्या वजह है कि जापान इमदाद देने आगे है लेकिन पनाह देने के मुआमले में काफ़ी पीछे?

एक वक़्त था कि जब मुहम्मद अपने बचपन के दोस्त जमाल के हमराह शामी दारुल हुकूमत दमिशक़ में अपने मकान की छत पर लगे एक टेंट में वीडीयो गेम्ज़ खेला करता था। फिर एक रोज़ वो इसी छत पर से सरकारी दस्तों को बाग़ीयों को निशाना बनाते देख रहा था कि इस के सर के इंतिहाई क़रीब से एक गोली गुज़री। इस दिन उस की समझ में आया कि ज़िंदगी और मौत में कितना कम फ़ासिला है।

किसी दौर में वकालत का तालिबे इल्म मुहम्मद आज जापानी दारुल हुकूमत टोकीयो में फ़िटनस इंस्ट्रक्टर की मुलाज़मत कर रहा है। साथ ही वो वक़्त निकाल कर ज़बान भी सीख रहा है ताकि किसी ना किसी तरह उसे भी अपने साथी जमाल की तरह वहां सियासी पनाह मिल जाए। लेकिन इस के इमकानात ज़रा कम ही हैं।