टोकियो ने दूसरी मर्तबा गरमाई ओलम्पिक गेम्स की मेज़बानी का हक़ हासिल करलिया है।
इस तरह फ़ो को शीमा न्यूक्लियर प्लांट से ताबकारी के अंदेशे और मेज़बानी के इस एज़ाज़ से महरूमी के ख़दशात अब ख़त्म होचुके हैं। जापान को दुनिया के सब से बड़े स्पोर्टस मुक़ाबले 2020-ए-ओलम्पिकस के होने की मंज़ूरी दे दी गई है। इंटरनेशनल ओलम्पिक कमेटी (आई ओ सी) के अरकान ने बियोन्स एरियस में होने वाले इजलास में जापान के दार-उल-हकूमत टोकियो का ओलम्पिक गेम्स के लिए इंतिख़ाब किया।
इससे पहले 1964-ए-में भी जापान ओलम्पिक गेम्स की मेज़बानी करचुका है। ओलम्पिक गेम्स की मेज़बानी के दावेदारों में इस्तंबूल भी पेश पेश था जबकि मैड्रिड को ड्रामाई तौर पर पहले मरहले में इस दौड़ से बाहर कर दिया गया था। जापान के हक़ में फ़ैसले के साथ ही टोकियो में जश्न का माहौल देखा गया जहां अवाम ख़ुशी के आलम में सड़कों पर निकल आए और इस फ़ैसले का वालहाना अंदाज़ में ख़ौरमक़दम किया।
टेलीविज़न पर लोगों को ख़ुशियां मनाते हुए दिखाया गया। वज़ीर-ए-आज़म जापान शनज़ो अबे, सैंट पीटर्सबर्ग, रूस में G-20 चोटी इजलास में शिरकत के बाद अर्जनटीना के दार-उल-हकूमत रवाना हुए ताकि अपने मुल्क के नुमाइंदों को हौसला दे सकें। जापान को दरअसल फ़ो को शीमा न्यूक्लियर प्लांट से ताबकारी के इख़राज के अंदेशे लाहक़ थे और वो ओलम्पिक गेम्स की मेज़बानी के ताल्लुक़ से काफ़ी फ़िक्रमंद था।
जापान के नुमाइंदे नफ़सियाती तौर पर भी काफ़ी दबाव में थे और ऐसा महसूस होरहा था कि उन्हें मेज़बानी के इस शरफ़ से महरूम किया जाएगा। टोकियो से तक़रीबन 220 कीलोमीटर दूर ये न्यूक्लियर प्लांट वाके है और यहां ताबकारी शुवाओं के इख़राज की वजह से इंसानी सेहत के बारे में कई अंदेशों का इज़हार किया जा रहा था।
वज़ीर-ए-आज़म जापान ने वफ़ूद को बताया कि यहां की सूरत-ए-हाल अब बिलकुल क़ाबू में है। उन्होंने कहा कि ताबकारी इख़राज से टोकियो को किसी तरह का कोई नुक़्सान नहीं पहूँचा। टोकियो इलैक्ट्रिक पावर कंपनी, फ़ो को शीमा ऑप्रेटर ने भी अलाहदा पयाम में ताबकारी के इमकानी फैलाव के अंदेशों को रद कर दिया।
2011ए- के ज़लज़ला और सूनामी की वजह से जापान में 18,000 से ज़ाइद लोग हलाक हुए और बड़े पैमाने पर तबाही हुई। फ़ो को शीमा न्यूक्लियर प्लांट भी सूनामी की ज़द में आया और ताबकारी शुवाओं के इख़राज की वजह से पानी भी आलूदा होगया था, ताहम इस सूरत-ए-हाल पर क़ाबू पालिया गया है और वज़ीर-ए-आज़म जापान ने आई ओ सी अरकान के अंदेशों को मूसिर अंदाज़ में दूर किया चुनांचे फ़ैसला टोकियो के हक़ में किया गया।
आई ओ सी ने बताया कि क़तई नतीजा में टोकियो को 60 वोट मिले जबकि इस्तंबूल को 36 वोट मिले। 2016ए- गेम्स की मेज़बानी रईओडी जनेरो करेगा जिस के लिए हुई राय दही में टोकियो को तीसरा मुक़ाम हासिल हुआ। जापान ने वादा किया है कि ये मुक़ाबले महफ़ूज़ और माली तौर पर मजबूत होंगे और मौजूदा ग़ैर यक़ीनी हालात पर क़ाबू पालिया जाएगा।
इस फ़ैसले का मतलब ये है कि जापान मजमूई तौर पर चौथी मर्तबा ओलम्पिकस की मेज़बानी कररहा है। इस से पहले नागांव (1998-ए-) और सपोरो (1972-ए-) सरमाई गेम्स की भी वो मेज़बानी करचुका है। एशिया में लगातार ओलम्पिकस देखे जाऐंगे क्योंकि जुनूबी कोरिया के जज़ीरा पेइंग चंग 2018-ए-सरमाई ऐडीशन की मेज़बानी कररहा है।
इस्तंबूल को तवक़्क़ो थी कि तुर्की पहला मुस्लिम मुल्क होगा जिसे स्पोर्टस का सब से बड़ा मुक़ाबला करने का एज़ाज़ हासिल होगा। इस ग़रज़ से ज़बरदस्त मुहिम चिली के बावजूद उसे कामयाबी नहीं मिल सकी। तुर्की को ये ख़ुसूसियत भी हासिल है कि वो एशिया और यूरोप के माबैन के एक पल की हैसियत रखता है और दोनों तहज़ीबों का एक संगम है। आई ओ सी के कई अरकान हाल ही में मुख़ालिफ़ हुकूमत मुज़ाहिरों से निमटने के मुआमले में अनक़रा हुकूमत के तरीका-ए-कार से मुत्तफ़िक़ नहीं थे। इस के इलावा पड़ोसी मुल्क शाम में जारी खूँरेज़ ख़ानाजंगी भी आई ओ सी के लिए तशवीशनाक पहलू है।