जामा मस्जिद के शाही इमाम को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है| कल शाही इमाम अपने बेटे को विरासत सौपेंगे| दिल्ली हाईकोर्ट ने आज एक मुफाद ए आम्मा की दरखास्त पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि जामा मस्जिद के शाही इमाम की तरफ से अपने बेटे को अपना जानशीन और नायब तकर्रुर करने के उनके फैसले की कोई कानूनी जवाज़ नहीं है और इस पर रोक नहीं लगेगी |
हाईकोर्ट ने जामा मस्जिद के नायब इमाम के तौर पर शाही इमाम के बेटे की दस्तारबंदी पर रोक लगाने से इंकार करते हुए 28 जनवरी तक मरकज़, वक्फ बोर्ड और इमाम बुखारी का जवाब मांगा है | अदालत ने वक्फ बोर्ड से पूछा है कि इतने दिनो से इमाम बुखारी के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया?
आपको बता दें कि वक्फ बोर्ड की तरफ से इमाम के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में उनके बेटे को नायब इमाम बनाने के खिलाफ दायर की गई थी| कोर्ट में दायर की गई तीन मुफाद ए आम्मा की दरखास्त कहा गया था कि जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की जायदाद है और मौलाना सैयद अहमद बुखारी (शाही इमाम) अपने बेटे को नायब इमाम नहीं मुकर्रर कर सकते|
दरखास्त में कहा गया था कि बुखारी के 19 साला बेटे शाबान बुखारी को नायब इमाम बनाना गलत है, क्योंकि वक्फ एक्ट में जानशीनी का नियम शामिल नहीं है|
आपको बता दें कि शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने अपने बेटे के दस्तारबंदी तकरीब में मुल्क के वज़ीर ए आज़म नरेंद्र मोदी को दावत नदी दिये हैं | हालांकि, बुखारी ने पाकिस्तान के वज़ीर ए आज़म नवाज शरीफ को जरूर दावत भेजे है. यह तकरीब 22 नवंबर को दिल्ली में होने वाला है जिसमें मुल्क और गैर मुल्क से हजारों मज़हबी रहनुमा व उस्ताद पहुंचेंगे|
हाईकोर्ट ने इमाम बुखारी से यह भी पूछा है कि उन्होंने इस तकरीब का इनेकाद क्यों किया?
सुहैल अहमद खान, अजय गौतम और वीके आनंद की ओर से दायर मुफाद ए आम्मा की दरखास्त के मुताबिक , “यह जानते हुए कि इमाम वक्फ बोर्ड के मुलाज़िम हैं और इमाम की तकर्रुरी का इख्तेयार बोर्ड के पास है, बुखारी ने अपने 19 साला के बेटे को नायब इमाम बना दिया और इसके लिए दस्तर बंदी तकरीब का प्रोग्राम किया जा रहा है, जो कि पूरी तरह गैर इस्लामिक है|”
दरखास्त में यह भी आरोप इल्ज़ाम गया था कि बुखारी ने पूरी तरह अफरा तफरी फैलाए हुए है और वह अपने ओहदा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं|
जामा मस्जिद की तामीर मुगल के दौर में किया गया था| इसके इलावा मुफाद ए आम्मा की दरखास्त में बुखारी की शाही इमाम के तौर पर तकर्रुरी को भी रद्द करने की मांग की गई थी|