जाविद पारसा- देश में बिज़नेस के मायने बदलता एक जोशीला कश्मीरी मुस्लिम

कहते हैं दुनिया में वह लोग आगे बढ़ते हैं जो अपना काम लगन और मेहनत के साथ करते हैं, लेकिन वह लोग महान बनते हैं जो अपने साथ-साथ दुसरे लोगों को भी कामयाब बनाते हैं। ऐसी ही एक महान शख्शियत हैं आज के दौर के युवा बिजनेसमैन जाविद पारसा। कश्मीर की घाटी से ताल्लुकात रखने वाले जाविद पारसा काठी जंक्शन नाम का फ़ूड आउटलेट तो चलाते ही हैं लेकिन इसके साथ ही साथ वो अपने खाने के साथ एक ऐसी चीज़ परोसते हैं जिसका पता तो सबको है लेकिन परोसने की हिम्मत या ज़हमत हर कोई नहीं कर पाता है।

अपनी इस ख़ास चीज़ के बारे में बताने की बजाए जाविद अपने 13 x 20 फुट की रेस्टोरेंट में लगे 4 टेबलों की और इशारा करते हैं। और सच मानो तो टेबल के कांच के नीचे रखे उन कागज़ के टुकड़ों पर लिखे लोगों के फीडबैक भर से ही इस बात का अंदाजा हो जाता है की जाविद के आउटलेट की वह ख़ास चीज़ या यूँ कहें की सीक्रेट रेसिपी बेहतरीन खाने के साथ परोसा जाने वाला बेशकीमती प्यार है।  इस पहेली को सुझाने और इस बारे में जाविद के साथ बात करने पर मुस्कुराते हुए जाविद कहते हैं कि  उन्हें लोगों से घुलना मिलना और दोस्त बनना शुरू से ही पसंद है। अपने आउटलेट पर आये मेहमानों का वह खुद स्वागत करते हैं और टेबल पर जाकर उन्हें खुद बुलाते और आर्डर भी लेते हैं।

जाविद की मेहमान नवाजी का ही नतीजा है कि घाटी का यह काठी जंक्शन हर रोज़ करीबन 3000 काठी रोल और 2000 और आइटम्स की बिक्री हो जाती है। इसके इलावा जाविद अपने मेहमानों और स्टाफ का पूरा ख्याल रखते हैं। सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर पूरी तरह एक्टिव रहने वाले जाविद अपने कस्टमर्स और स्टाफ के साथ सेल्फी लेकर फेसबुक पर अपलोड करने का कोई मौका नहीं जाने देते। अपनी इसी आदत की वजह से कश्मीर ही नहीं पूरे देश से उनके आउटलेट के बारे में जानने वाले लोग उन्हें सेल्फी मैन के नाम से जानने लगे हैं।

अपने मेहमानों के साथ जाविद

अपने आउटलेट के बिज़नेस, ज़िन्दगी और इस मुकाम तक पहुँचने के सफर के बारे में बात करते हुए जाविद बताते हैं कि उन्होंने इस आउटलेट को चलाने के लिए कभी भी किसी मशहूरी/ एड का सहारा नहीं लिया। उनका मानना है कि आपके ग्राहक ही आपके बिज़नेस की सबसे बेहतरीन एड और रिव्युअर हो सकते हैं।

अपनी ज़िन्दगी के बयान करते हुए जाविद बताते हैं कि कैसे उन्होंने पढ़ाई के दौरान मुश्किलों का सामना किया और एक के बाद एक कोर्स छोड़ने के बाद आखिर में इस कामयाब मुकाम पर पहुंचे। उत्तरी कश्मीर के बांदपुरा इलाके में जन्मे जाविद ने 12वीं के आगे की पढ़ाई लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से करने की सोची। सही मार्गदर्शन ना मिलने की वजह से गलती से इंजीनियरिंग में एडमिशन ले बैठा यह हुनरमंद और बेहद मिलनसार लड़के को एक अलग ही दुनिया में जीने का एहसास होने लगा, जिसकी वजह से इंजीनियरिंग छोड़ जाविद ने इंटीरियर डिजाइनिंग और आर्किटेक्चर में अपनी बैचेलर डिग्री पूरी की। कामयाबी की बुलंदियां छूने के सपने और अपनी सोच को पूरी तरह आर्किटेक्चर में फिट न होता देख जाविद ने मौलाना आज़ाद नेशनल यूनिवर्सिटी में एमबीए इन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट करने की ठानी। डिग्री पूरी भी नहीं हुई थी कि जाविद को नौकरी के लुभावने ऑफर मिलने शुरू हो चुके थे। हैदराबाद में गुज़ारे अपने वक़्त को याद करते हुए जाविद बताते हैं कि कॉलेज के वह जोशीले दिन और मौलाना आज़ाद नेशनल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन के पहले कश्मीरी जनरल सेक्रेटरी चुने जाने का अनुभव बिलकुल अनोखा था। उन दिनों कॉलेज के स्टूडेंट्स की आवाज़ उठाने वाले हैदराबाद के अखबारों में से सिआसत का नाम ख़ास तौर पर लेते हुए उन्होंने कहा कि वह वक़्त में बेधड़क और आज़ादी भरा था जहाँ हम स्टूडेंट्स की आवाज़ उठाने वाला मीडिया हर सरकारी मशीनरी के आगे भी बेधड़क होकर हमारे हक़ की बात कहता था

एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद हैदराबाद में ही दुनिया की मशहूर इ-कॉमर्स साइट अमेज़न.कॉम में बतौर फुलफिलमेंट स्पेशलिस्ट काम कर रहे जाविद के पास विदेशों से भी नौकरियों के कई ऑफर आ चुके थे लेकिन कश्मीर की वादियों में पले-बढे इस नौजवान ने अपनी मिट्टी के साथ जुड़ा रहने का फैसला किया और समुन्द्र पार जाकर नौकरी करने की बजाये कश्मीर में अपना बिज़नेस शुरू करने की ठानी। बिज़नेस शुरू करने के पीछे की वजह पर खुलकर बात करते हुए जाविद ने बताया-

बिज़नेस का मतलब मेरे लिए कभी भी सिर्फ खुद के लिए पैसा कमाना नहीं रहा है, मैं अपने इलाके के लोगों को मजबूत बनना चाहता था, कश्मीर के जिस इलाके में हम रह रहे हैं वहां कई बार महीने में महज 20 दिन कारोबार होता है, 10 दिन हड़तालों या फिर बंद में ही निकल जाते हैं। ऐसे में एक बिज़नेस शुरू करने के पीछे मेरी सोच यहाँ के लोगों के लिए रोज़गार का साधन तैयार करना भी था, आज भी मैं चाहता हूँ कि अपनी मौजूदा टीम को बढ़ा कर मैं 50 और लोगों को रोज़गार मुहैय्या करवा सकूं, बिज़नेस का मतलब कभी अकेले बढ़ना नहीं हो सकता , यह तो एक पेड़ की तरह है जिसका काम खुद बड़ा होकर लोगों को छाँव और फल देना तो है ही और अपने बीज गिराकर नए पेड़ों को जन्म देना भी है।

अपनी टीम के साथ जाविद

जाविद को बिजनेस में मिली सफलता के लिए तो वह जाने ही जाते हैं इसके इलावा उन्होंने अपने आउटलेट में एक ऐसी शुरुआत की है जिसके बारे में जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। आज के दौर में जहाँ ज्यादातर लोग अपने स्मार्टफोनों में आँखें गड़ाए घूमते, खाते और बैठे हर जगह मिल जाएंगे वहीँ जाविद ने लोगों की इस आदत को तोड़ने और उनकी सोच को नए पायदान पर ले जाने की कोशिश में अपने आउटलेट में एक मिनी-लाइब्रेरी की शुरुआत की है। रेस्टोरेंट में आने वाले मेहमान यहाँ रखी किताबों को उठकर पढ़ सकते हैं और अगर इस मिनी लाइब्रेरी की मेम्बरशिप उन्होंने ले रखी है है तो वो इन किताबों को एक हफ्ते के लिए अपने साथ भी ले जा सकते हैं। इन किताबों को यहाँ रखा देख इलाके के कई लेखकों ने अपनी लाइब्रेरी की किताबें यहाँ रखने का ऑफर जाविद को दिया जिसे जाविद ने खुले दिल से मान उन किताबों को यहाँ जगह दी। इसके बारे में जाविद हँसते हुए कहते हैं अब तो यह हाल है कि किताबें देने वाले दोस्तों को मुझे कहना पद रहा है “कुछ दिन इन्हें अपने पास रखो अभी इन्हें रखने की मेरे पास जगह नहीं है“। इस बात का ज़िक्र होते ही दीवारों पर नई बुक शेल्व्स लगाने की जगह ढूँढ़ते जाविद के चेहरे पर एक अलग ही ख़ुशी झलकती है। जाविद की इन किताबों के दीवाने सिर्फ आउटलेट पर आने वाले मेहमान ही नहीं हैं बल्कि इलाके में रहने वाले स्कूल जाने वाले बच्चे भी इन्हे पढ़ने के लिए ले जाना पसंद करते हैं और कुछ तो हैं जो ख़ास तौर पर यहाँ इन किताबों को ही पढ़ने आते हैं।

अपने कश्मीर में रहने के अनुभव को बयान करते हुए जाविद ने कहा कि कश्मीर के लोगों ने अपनी ज़िन्दगी में बहुत रंग देखे हैं, इस खूबसूरत जमीं में पिछले कई सालों से बने माहौल ने यहाँ के हर शक्श को एक कहानीकार बना दिया है। हर दिल के पास कहने को बहुत कुछ है और उनका नजरिया बहुत खुला हुआ है।

इसके इलावा अपने काठी जंक्शन के सफर के बारे में बताते हुए जाविद ने कहा कि काठी जंक्शन की फ्रेंचाइसी लेना बहुत मुश्किल काम था। कपनतय के मालिक इस बात को लेकर चिंता में थे कि बिगड़े हालातों के दौर से गुज़र रहे कश्मीर में हमारा यह आउटलेट कैसे काम कर पाएगा। उन्हें मनाना और वह करके दिखाना जिसकी वजह से काठी जंक्शन लिमिटिड के मालिक आज गर्व से कहते हैं की कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हमारे आउटलेट काम कर रहे हैं एक बहुत मेहनत भरा काम था।