जिगर मुरादाबादी के अश’आर: “नज़र हटी थी कि फिर मुस्कुरा के लूट लिया”

नज़र मिला के मेरे पास आ के लूट लिया
नज़र हटी थी कि फिर मुस्कुरा के लूट लिया

बड़े वो आये दिल-ओ-जाँ के लूटने वाले
नज़र से छेड़ दिया गुदगुदा के लूट लिया

जिगर मुरादाबादी