जिनके हाथ में डफली है, वे कन्हैया हैं। जब भी फ़ोन करो यही बताते हैं कि अलना को लेकर अस्पताल आए हुए हैं तो फलना की फ़ेलोशिप के सिलसिले में किसी विभाग के चक्कर काट रहे हैं। इनकी माँ आँगनबाड़ी सेविका हैं और उनकी मासिक आय तीन हज़ार रुपये है। पिता सालों से बीमारी के कारण बिस्तर से नहीं उठ पाए हैं। जिन लोगों ने कन्हैया को माँ-बहन की गाली दी है, वे न तो माँ-बहन की इज़्ज़त कर सकते हैं न देश की। आज जब कन्हैया देशद्रोह के आरोप में जेल में हैं तो उन्हें बाहर निकलवाने के लिए जेएनयू के 4000 हज़ार से ज़्यादा लोग सड़क पर उतर आए हैं। पुलिस ने अगर कैंपस में लोगों के आने पर पाबंदी नहीं लगाई होती तो यह संख्या 10,000 तक भी पहुँच सकती थी। कन्हैया उन लोगों की पुलिस में शिकायत करना चाहते थे जिन्होंने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। पुलिस ने कन्हैया को ही गिरफ़्तार कर लिया! जेएनयू में आज वे लोग भी सड़कों पर नज़र आ रहे हैं जो कभी किसी प्रदर्शन में नहीं दिखते थे। सरकार ने ग़लत आदमी को पकड़ लिया है। कैंपस में जो चिंगारी भड़की है वह दूर तक पहुँचेगी।
सुयश सुप्रभ की फेसबुक वाल से
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