समाजी कारकुन ( कार्यकर्ता) किरण बेदी ने आज एक अहम ब्यान देते हुए कहा कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) से वाबस्ता (संबंधित) कुछ अरकान ( सदस्य) ने सयासी मुफ़ाद परस्ती का मुज़ाहरा करते हुए अन्ना हज़ारे की तहरीक ( आंदोलब) से अलैहिदगी इख़तियार कर ली है लेकिन इस का मतलब ये नहीं कि इन के अलैहदा हो जाने से तहरीक दम तोड़ देगी बल्कि वो पहले की तरह जारी रहेगी ।
अपने ट्वीटर पर तहरीर करते हुए ( लिखते हुए) किरण बेदी ने कहा कि IAC में सयासी मुतबादिल (अदल बदल होने वाला) के मौज़ू ( विषय) पर एक अर्सा तक मुबाहिसे ( बहसें) हुए हैं और जो सयासी वाबस्तगी के ख़ाहां थे वो बिलआख़िर अलैहदा हो गए लेकिन अन्ना हज़ारे की तहरीक हसब-ए-मामूल (पहले की तरह ) चलती रहेगी ।
यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि किरण बेदी ने कल भी एक अहम ब्यान देते हुए कहा था कि IAC तहरीक चलाने के लिए नए दफ़्तर की तलाश में है जहां से तहरीक पर तमाम तर तवज्जा (पूरा ध्यान) लोक पाल और दीगर ( दूसरे) मुआमलात पर मर्कूज़ ( केंद्रित) रखी जाएगी ।
याद रहे कि हज़ारे और उन के हामीयों ने अरविंद केजरीवाल की क़ियादत वाले ग्रुप में शमूलीयत इख़तियार कर ली जो इस बात का ख़ाहां है कि बदउनवानीयों ( भ्रष्टाचार) के ख़िलाफ़ जो जंग लड़ी जा रही है उसे सयासी रंग दिया जाय जिस के लिए सयासी पार्टी तशकील (निर्माण/ गठन) देते हुए इंतिख़ाबात ( चुनाव) लड़े जाय जिस के लिए सयासी पार्टी तशकील देते हुए इंतिख़ाबात लड़ने का भी फ़ैसला किया गया है ।
अब देखना ये है कि ये ऊँट किस करवट बैठता है । अब तक अन्ना हज़ार और उन की टीम की ताईद ( समर्थन) करने वाले लाखों नहीं बल्कि करोड़ों लोग थे लेकिन टीम के इस तरह मुंतशिर ( तितर बितर/ विभाजित) हो जाने से इस के मुस्तक़बिल ( भविष्य) पर सवालिया निशान लग गया है ।
पूरे हिंदूस्तान में अन्ना हज़ारे का जो एहतिराम और वक़ार है वो किसी दीगर (दूसरे) क़ाइद ( नेता) का नहीं । बाअज़ सयासी माहिरीन ( Expert) इसे आया राम गया राम से भी ताबीर ( कलपना) कर रहे हैं । इन का कहना है कि जब अन्ना हज़ारे की टीम को मुंतशिर ही होना था तो इतने तवील ( लंबे) अर्सा तक अवामी जज़बात से खिलवाड़ क्यों किया गया !