इतवार इस साल का अब तक का सबसे गरम दिन रहा। गरमी का पारा 44 डिग्री के करीब पहुंच गया। लू के थपेड़ों से आम ज़िंदगी बूरी तरह मुतासीर रहा। इतवार की सुबह से ही पारा का तेजी से चढ़ना जारी रहा. इसकी शुरुआत तकरीबन 24 डिग्री से हुई। 10 बजने के साथ ही पारा 32 डिग्री के पास पहुंच गया। बताया जाता है कि साल 2014 में भी ज़्यादा से ज़्यादा दर्जे हरारत 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा था। गुजिशता तीन दिनों से जारी लू से गुजिशता साल के रिकार्ड दर्जे हरारत से आगे जाने की इमकान है।
गरमी के साथ-साथ पारा के बढ़ने से पानी की सतह में तेजी से गिरावट आयी है। पीएचइडी महकमा के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, ज़मीन के अंदर का पानी की सतह के आठ से 10 फुट नीचे चले जाने का अंदाज़ा है। यह चापाकलों पर सीधा असर दिखा रहा है।
शहर समेत गांवों में चापाकलों ने पानी देना बंद कर दिया है। यह हालत पठारी इलाकों में ज्यादा देखने को मिल रही है। पठारी व जंगली इलाकों में जानवरों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। गांवों से अक्सर जंगली जानवरों के गांव में आने की खबर, सीधा जानवरों को पानी की तलाश में भटकना बताया जाता है।
लगाये जायेंगे प्याऊ
शहर में प्याऊ की इंतेजाम करने पर गौर किया जा रहा हैं। बाहर से आये लोगों को पीने की पानी की कमी की वजह से सबजे ज़्यादा मसाला होती हैं। लोगों के साथ मिल कर पीने का पानी की मसला दूर करने के लिए प्याऊ की इंतेजाम करेंगे.
श्रवण वर्णवाल, समाजसेवी