जिवीका संबधित‌ परेशानीयों को दूर करने के लिए गन्ने का शर्बत बेचनेवाली ग़रीब मेहनती मुस्लिम लड्की

सिकंदराबाद वारिस गौड़ा के हबीब ख़ां जो लकवे से माज़ूर जिस की बीवी का 3 साल पहले इंतिक़ाल होगया, हबीब ख़ान को सिर्फ एक लड्की है जिसने सातवीं जमात तक पढाइ कि की है।

बानो बेगम हबीब ख़ां सिकंदराबाद स्टेशन के पास गन्ने की बंडी लगा कर गन्ने का शर्बत बेचती हैं। 18 साला बानो बेगम अपनी ज़िंदगी के बारे में बताया कि वालिद साहिब के माज़ूर होने पर बहुत परेशानी होने लगी उन कि दवाओं पर खर्चा बहुत होता था। फिर घर चलने के लिए पैसे की ज़रूरत थी। में ने अपने वालिद हबीब ख़ान के साथ कभी कभी सिकंदराबाद गन्ने की बंडी के पास शर्बत बेचती थी। मेरे वालिद के ख़ानदान वालों ने मेरे माज़ूर वालिद की मदद नहीं कि। घर की हालत बहुत ख़राब होगई। ,मेंने फिर अपने वालिद के गन्ने के शर्बत के कारोबार को शुरू किया।

में रोज़ सुबह अपने वालिद और अपने लिए नाशता तैयार करके साथ में नाशता करते हैं फिर दोपहर और शाम का खाना तैयार करके गन्ने की मंडी को जाकर गन्ना ख़रीद कर सिकंदराबाद आती हूँ।

दिन के 2 बजे से गन्ने का शर्बत बेच्ती हूँ। साथ ही पानी की पाकेटस और बटर मिल्क के पाकेटस फ़रोख़त करती हूँ रोज़ 500 से 600 रुपया कमाती हूँ। आजकल ज़्यादा धूप है मगर धूप में ही ज़्यादा शर्बत फ़रोख़त होता है। सब लोग गन्ने का एक ग‌लास 8 से 9 रुपया में बेच्ते हैं मगर में सिर्फ 7 रुपयां में गलास बेच्ती हूँ।

सिकंदराबाद स्टेशन के पास ट्रैफ़िक पुलीस वाले बंडी लगाने नहीं देते मगर में गुज़ारिश करते हुए रोज़ बंडी लगाती हूँ। मेरे वालिद मेरे शाम तक घर वापिस होने तक परेशान रहते हैं। वो घर के दरवाज़े के पास बैठे मेरा इंतिज़ार करते हैं। मेरे वालिद का कहना है अगर मेरे को बेटा भी होता तो इतनी ख़िदमत और मेहनत नहीं करता।

हम ग़रीब हैं लेकिन हम को किसी से मांग कर ज़िंदगी गुज़ारना पसंद नहीं है। आजकल में देखती हूँ कई ग़रीब मुस्लिम औरतें और मुस्लिम लड्कीयां बुर्क़ा में रोड पर मांगते फिरती हैं और कई औरतें ग़लत रास्ते पर भी चलती हैं।

पैसे के लिए जिविका संबधित परेशानियां का बहाना बना कर‌ ग़लत काम करना अच्छा नहीं। हर रोज़ कई लड्कीयों को इस बस स्टोप पर घंटों लड़कों के साथ बातें करते हुए देखती हूँ। में मेहनत करने से शरमाती नहीं हूँ। मेरे वालिद और घर को चलने में मदद करना बहुत अच्छा लगता है।

गर्मा के मौसम में घन्ने का शर्बत बहुत ज़्यादा बीक्ता हैं । सिर्फ 4 माह ही कारोबार होता है फिर 8 माह घर के पास छोटे छोटे काम कर लेती हूँ, जिस से हमारा घर चलता है। में रोज़ नमाज़ में अल्लाह से दुआ करती हूँ मेरी हिफ़ाज़त करे और किसी मुश्किल से दूर रखे। अल्लाह का शुक्र है आज तक इज़्ज़त की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।

मेरे वालिद मेरी मेहनत से बहुत ख़ुश हैं। मेरे वालिद के ख़ानदान वाले बहुत सी बातें करते हैं और मेरे वालिद किसी की बात का ख़्याल ना करते हुए मेहनत से अपनी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।