जिहालत मुआशरे में बिगाड़ेगी बुनियादी वजह

इस्लाम दीन जीतने का मजहब है बदला लेने का नहीं। इंसानियत का सबसे पहला तक़ाज़ा है की अच्छे कामों पर तवज्जो दें। मुहब्बत व खौत के जज्बे को आम करने के लिए मोहम्मद (स) पूरी इंसानियत के लिए रहमत बन कर आए। इन खयालात का इज़हार अल हिन्द एजुकेशन एंड वेल्फेयर ट्रस्ट के तावून से इस्लाम लाइब्रेरी व मस्जिद आईशा जहानाबाद के जेरे एहतेमाम मुनक्कीद इसलाह मूआशरा कोन्फ्रेंस के खिताब में स्वामी लक्ष्मी आचारिया ने किया।

उन्होने कहा की मुसलमान आज अपनी डगर से हटता जा रहा है जिसकी वजह से इसे परेशानियाँ लाहक है। इस मौक़े पर शेख जफर अल हसन मद्नी ने मूआशरे की बिगाड़ की वजह जिहालत को करार दिया और कहा इसके दूर किए बेगैर मूआशरे की इसलाह मुमकिन नहीं।

उन्होने कहा की बिदअत और मूआशरे में फ़ुतूर जिहालत की मरहून मंत हैं। उन्होने तालीम को आम करने पर ज़ोर दिया। अपने खिताब में बरादर यूसुफ खान इंजीनियर ने मीडिया के जरिये इस्लाम की शोबिया को खराब करने पर सख्त तनकीद की। उन्होने कहा की मीडिया इस्लाम के मौकूफ को अपनी तरक़्क़ी में रुकावट मानता है। इस्लाम अमन का मजहब है। उन्होने कहा की इस्लाम मर्द औरत के मखलुत तालीम की भी खिलाफ है। तालीम की अहमियत बहुत वाजेह है। जबकि मीडिया इस्लाम के खिलाफ मुहिम चला रहा है। कोन्फ्रेंस की निजामत मौलाना अर्शद हनीफ फ्लाही ने की और मोहम्मद फारुक आजम, बुलंद अख्तर, प्रोफेसर अकील अहमद, संतोष श्रीवास्तव के इलावा बड़ी तादाद में ओलमा व दीगर हाजरात मौजूद थे।