ये मासूम लड़की सड़क के किनारा तमाशा और करतब दिखा कर जिस में इस की जान को ख़तरा भी है । अपने और ख़ानदान के अफ़राद की कफ़ालत करती है । अफ़सोस इन नौजवानों पर है जो फ़ुज़ूल और बे मक़सद अंदाज़ में अपना वक़्त गुज़ारते हैं । इस छोटी सी लड़की की मेहनत मशक़्क़त से बे कार नौजवान काश सबक़ हासिल करें । सपना नाम की ये 7 साला लड़की छत्तीसगढ़ की है । अपने ख़ानदान के अफ़राद के साथ फ़लक नुमा रेलवे स्टेशन के पास पटरियों के क़रीब एक झोंपड़ी में रहती है । इस के हमराह उस की माँ एक भाई और मामूं रहता है । ये ख़ानदान दरअसल सर्कस में करतब बताकर अपना पेट पालता है । इस की माँ का कहना है कि सर्कस का ज़ौक़ ख़तन होरहा है । बहुत कम लोग सर्कस देखने आते हैं क्यों कि आजकल की मसरूफ़ ज़िंदगी में लोगों के पास वक़्त नहीं है । हम को माहाना तनख़्वाह पर काम करना पड़ता है । पिछले 3 साल से मेरी बेटी हैदराबाद शहर में सड़कों पर करतब बताती और यूंही सड़कों पर रस्सी पर चलती है कभी इस पर खाने की प्लेट को अपने घुटने पर रख कर हाथ में बंबू लेकर अपनी मासूम जान को हथेली पर रख कर अवाम को ये ख़तरनाक तमाशा दिखाती है । दुख दर्द की मारी इस बेबस माँ ने कहा कि बहरहाल हम ज़िंदा हैं और हमारे साथ तमाम ख़तरात भी ज़िंदा हैं । हम ये कह सकते हैं कि हम जीने के लिए रोज़ाना मौत के मुंह में जाते हैं हमें हर रोज़ मौत से आँखें मिलानी पड़ती है हर रोज़ हर घड़ी मौत मंडलाती रहती है । अब इतनी मेहनत और ख़तरा के ज़िंदगी गुज़ारने वाली सपना की तालीम क्या हुई होगी । उस की माँ ने बताया कि इन की बेटी कभी उसको लनाएं गई । हम ने ख़ुद देखा कि लोग दमबख़ुद हो कर इस मासूम लड़की को रस्सी पर आहिस्ता आहिस्ता सरकतीहोए देख रहे थे । एक कोने से दूसरे कोने तक 20 फुट का फ़ासिला ये हौसलामंद लड़की कामयाबी से तै करने के बाद नीचे ज़मीन पर उतरती है । इतने ख़तरनाक खेल तमाशा के बाद ये लड़की रोड के दोनों जानिब खड़े तमाशा देखने वालों के आगे हाथ फैला कर भीक मांगती है । यानी उसको अपनी मेहनत का सिला भी इज़्ज़त से नहीं मिलता । रहम खा कर लोग सपना के सर पर हाथ रख कर कुछ दे भी देते हैं । सपना के मामूं संतोष का कहना है कि हर रोज़ चार मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर इस तरह तमाशा दिखाना पड़ता है जिस से आसानी से 600 रुपय मिल जाते हैं यही उन की यौमिया आमदनी है । जब सपना रस्सी पर चलती है तो इस का मामूं नीचे बाजा बजाता हीलीकन ममता को क्या कहीये उस की माँ की नज़र रस्सी पर रहती है क्यों कि इस के जिगर का टुकड़ा वहां होताहै उस को फ़िक्र लाहक़ होती है अपनी बच्ची की सलामती की दुआएं मांगती है । देखने वाले अक्सर इस हैरतअंगेज़ मंज़र कव्वा पने सेल फ़ोन में क़ैद करलेते हैं । इस के मामूं ने कहा कि सपना को इस मुश्किल फ़न की ट्रेनिंग लेने के लिए एक साल मेहनत करनी परी ये फ़न इस ने बाक़ायदा तौर पर सीखा है । इस का बाप भी छत्तीसगढ़ की सर्कस में आज भी काम करता है । सपना ने कहा कि शुरू शुरू में जब कि वो फ़न सीख रही थी रस्सी से वो कई मर्तबा गिरी । कई मर्तबा हाथ पैर पर चोट लगी थी एक मर्तबा तो नीचे गिरने से इस के दाँत भी टूट गए थे लेकिन मेरे पापा ये कमाल सीखने पर मुझे मजबूर करते थे आख़िर कार में सीख ही गई । मेरी माँ मेरी बात सुनती है मुझे चॉकलेट देती है । बड़ी मासूमियत से इस ने कहा कि आपहमारी झोंपड़ी में आईए में कार्टून बेहद शौक़ से देखती हूँ । ये खेल तमाशा तो मैं रोज़ करती हूँ । हाँ कभी बुख़ार आजाए घर पर रहती हूँ । क़ारईन देखिए सपना रस्सी पर चल कर कैसे अपनी जान ख़तरा में डाल कर घर चलाती है । दूसरी तरफ़ हमारे हटे कटे मज़बूत हाथ पाॶं वाले नौजवान अपना वक़्त बर्बाद करते हुए माँ बाप पर बोझ बने हुए हैं । यहां तक कि पाकेट मनी के नाम पर अपने वालिद से ज़ोर ज़बरदस्ती करते हैं । इन तमाम के लिए सपना एक सबक़ है । हम ये नहीं कह रहे हैं कि रस्सी पर चलो हम तो सिर्फ इतना कह रहे हैं कि इस रास्ते पर चलो जिस पर दुनिया और आख़िरत की कामयाबी है ।।