आंध्र प्रदेश की 4 इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनीयों जी एम आर, जी वे के, लैंको और आई वि आर सी एल के मुनाफ़ा में कमी, ख़सारा में इज़ाफ़ा और मुल्क-ओ-बैरूनी ममालिक में क़ानूनी मसाइल, सनअती-ओ-तिजारती हलक़ों में मौज़ू बेहस बन चुके हैं और सब की ज़बान पर एक ही सवाल हैके जी एम आर, जी वि के, लैंको आख़िर किस लिए मसाइल में घिरे हुए हैं।
2008 एक एसा साल था जिस को दुनिया भर के बड़े सनअती-ओ-तिजारती घराने बह आसानी नहीं भूल सकेंगे। ये बात आंध्र प्रदेश की सनअती बिरादरी पर भी सादिक़ आती है।
सदी के बदतरीन इक़तेसादी बोहरान, आलमी मआशी सुस्त रवी और हिंदुस्तान में भी अपना असर दिखाया और हिंदुस्तान के तक़रीबन हर बड़े सनअती-ओ-तिजारती घराने को अपनी लपेट में लिया।
आंध्र प्रदेश की बड़ी तिजारत और सनअत भी दुनिया से मुख़्तलिफ़ नहीं है। दिसमबर 2008 में आंध्र प्रदेश के सरमाया कारों को ज़बरदस्त धक्का लगा जब सत्यम स्कैंडल ने ना सिर्फ़ हिंदुस्तानी इन्फ़ार्मेशन टेक्नोलोजी सनअत की साफ़ सुथरी बैन-उल-अक़वामी इमेज के परख़चे उड़ा दिए बल्कि रियासत के आई टी कारोबार को भी खारब कर दिया।
जिस के बाद से यक के बाद दुसरे इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनीयों के लिए बुरी ख़बरों का जैसे लामतनाही सिलसिला शुरू होगया और देखते ही देखते दर्जनों रियासती इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनीयां उसकी ज़द में आगईं।
आंध्र प्रदेश की इनफ़रास्ट्रक्चर कंपनीयां जैसे जी एम आर, जी वि के, लैंको और आई वि आर सी एल और रामकी, नागरजुना कंस्ट्रक्शन, नवा योगा, नवा भारत वेंचर्स, एसए डब्लयू, सोमा माधव कान, गाइतरी प्रोजेक्ट स, सैंया ऐंड कंपनी, प्रसाद, परोगरीसीव कंस्ट्रक्शन, के एसके अनर्जी और मेगा इंजीनीयरिंग एसी कंपनीयां हैं जिन के पास 4 बड़े एयरपोर्टस के अलावा एक तिहाई बर्क़ी प्रोजेक्टों और हिंदुस्तान में ज़रे तामीर बड़ी रोड प्रोजेक्टों का आधा हिस्सा था। लेकिन यहां ये बात काबिल-ए-ज़िकर हैके इन तमाम कंपनीयों ने छोटे इदारों की हैसियत से अपना कारोबार शुरू किया था। 1960 और 1990 की दहाईयों के दरमयान आंध्र में बड़े पैमाने पर आबपाशी और तवानाई के शोबों में काम मिलने के बाद अपना मौक़िफ़ मुस्तहकम करलिया था लेकिन हिंदुस्तान में इस्लाहात का आग़ाज़ हुआ।