हैदराबाद 26 अप्रैल- बेटी की शादी होने वाली है, उसे विदा करने का वक़्त जैसे जैसे करीब आता जा रहा है, घर में 70 साला मुलाज़िम से लेकर माँ-बाप बेटी की जुदाई का तसव्वुर कर के भी काँप जाते हैं।
उन की आँखों से आँसू रवां हो जाते हैं जब कि लड़की को भी अपने मम्मी पापा से जुदा होने का ग़म खाए जा रहा है वो उन से छुप-छुप कर आँसू बहा रही है ताकि माँ और बाप उस के आंसू को देख कर मज़ीद ग़मज़दा ना हो जाएं।
लड़की को इस बात का एहसास है कि माँ-बाप ने उस की परवरिश तालीम और तरबियत में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी किसी ख़ाहिश का वो इज़हार करती तो माँ-बाप लपक कर इस ख़ाहिश को पूरा कर देते।
बीमार हो जाती तो वालिदैन रात रात जागते हुए उस की तीमारदारी करते उस की एक आवाज़ पर मियां बीवी दोनों दौड़े दौड़े इस के पास पहुंच जाते। ज़िंदगी भर उन लोगों ने उसे किसी किस्म की तकलीफ़ या महरूमी का एहसास तक होने नहीं दिया और क़िस्मत से जो भाई मिले वो भी अपनी बहन को जी जान से चाहते हैं ।
क़ारईन! हम जिस लड़की और उस के जिन वालिदैन की बात कर रहे हैं उन के बारे में जान कर हम यक़ीन से कह सकते हैं कि आप चौंक पड़ेंगे और इस पाकीज़ा रिश्ते के बारे में जान कर आप की आँखों से आँसू रवां हो जाएंगे।
साथ ही आप की ज़बान से ये अलफ़ाज़ ज़रूर अदा होंगे आज भी दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं , दुनिया में इंसानियत बाक़ी है । दरअसल हम जिस लड़की और इस के वालिदैन की बात कर रहे हैं वो भोंगीर से 25 किलो मीटर फ़ासले पर वाक़े मौज़ा गोराईपल्ली मंडल यादगीर गुट्टा ज़िला नलगोंडा के रहने वाली ग़ैर मामूली शख्सियत जी माधव रेड्डी उन की अहलिया मुहतरमा लक्ष्मी रेड्डी और उन की बेटी 22 साला फ़र्ज़ाना हैं।
इस ख़ानदान को हम हिंदुस्तान का मुनफ़रद ख़ानदान कह सकते हैं । बताया जाता है कि इस हिंदु जोड़े ने मुहम्मद जमाल के घर पैदा हुई लड़की फ़र्ज़ाना को उस वक़्त गोद ले लिया था जब उस लड़की की उम्र सिर्फ़ 8 साल थी और उस के वालिदैन इस दारेफ़ानी से कूच कर चुके थे।
तब से लेकर अब तक एक माँ बाप के जैसा सुलूक़ करते आए, सिर्फ़ एक फ़ोन पर वो फ़ौरी हैदराबाद पहुंच जाते और जिस चीज़ की ख़ाहिश का वो इज़हार करती फ़ौरी उसे पूरा कर दिया जाता। फ़र्ज़ाना ने बताया कि उन के भाई (माधव रेड्डी के बेटे) जो अमरीका में मुक़ीम हैं हर रोज़ कम अज़ कम आधा घंटा अपनी बहन फ़र्ज़ाना से बात करते हैं।
इस मुआमला में वो ख़ुद को ख़ुश नसीब बेटी और बहन तसव्वुर करती है। हम ने देखा कि शादी के बारे में सवाल पर फ़र्ज़ाना और उन की माँ लक्ष्मी रेड्डी के साथ साथ माधव रेड्डी की आँखों से आँसू रवां हो गए । और वो ख़ुद पर क़ाबू ना पा सके।
बहरहाल जी माधव रेड्डी उन की अहलिया लक्ष्मी रेड्डी ने अपनी इस अज़ीम इंसानियत नवाज़ी के ज़रीए फ़िर्क़ा परस्तों को ये पैगाम दिया है कि हिंदुस्तान में अब भी इंसान बस्ते हैं और इंसानियत बाक़ी है।