जी-20 चोटी कान्फ़्रैंस

आलमी सतह पर बड़े मुल्कों का मआशी बोहरान हिंदूस्तान के लिए भी तशवीशनाक है। यूरोज़ोन बोहरान और यूनान का मआशी बोहरान भी फ़्रांस के शहर कीन्स मैं मुनाक़िदा G-20 चोटी कान्फ़्रैंस के अहम मौज़ूआत थी। वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने इस बोहरान से निकलने के लिए तवील मुद्दती मक़सद पर मबनी तरक़्क़ीयाती पराजकटस पर तवज्जा देने के लिए ज़ोर दिया।

इस के साथ ही यूनान की यकतरफ़ा कार्रवाई पर उन्हों ने मआशी मैदान में तवील मुद्दती इस्तिहकाम पर तशवीश ज़ाहिर की। आलमी मआशी बोहरान से हिंदूस्तान की मआशी पालिसीयों पर किस हद तक असर होगा ये आइन्दा के हालात पर मुनहसिर है। फ़िलहाल हिंदूस्तान को ही अंदरून-ए-मुल्क अपनी मआशी पालिसीयों और यू पी ए हुकूमत की हलीफ़ पार्टीयों की धमकीयों के दरमयान महंगाई पर क़ाबू पाने के लिए मुतअद्दिद इक़दामात करने हैं।

वज़ीर-ए-आज़म ने कीन्स में आलमी सूरत-ए-हाल के तनाज़ुर में हिंदूस्तान और अपनी हुकूमत पर पड़ने वाले असरात का भी जायज़ा लिया है। उन्हों ने जी 20 चोटी कान्फ़्रैंस के मौक़ा पर आलमी मआशी बोहरान से निमटने के लिए कुछ तजावीज़ रखी हैं मगर उन की तजावीज़ को आलमी क़ाइदीन ने किस हद तक नोट किया है ये ग़ैर वाज़ेह है क्योंकि दो साल क़बल ही जब मनमोहन सिंह ने जी 20 चोटी कान्फ़्रैंस को अपनी राय से नवाज़ा तो इस कान्फ़्रैंस के शुरका ने उन की तजावीज़ और राय की ज़बरदस्त सताइश की थी और उन्हें मआशी तब्दिली का गुरु तस्लीम किया था।

मगर इस मर्तबा यूरोज़ोन बोहरान से निमटने वालों के लिए इन का मश्वरा किस हद तक काबिल-ए-क़बूल होगा ये वक़्त ही बताएगा। इस वक़्त मआशी बोहरान का कोई आजलाना हल तलाश करने में जी 20 चोटी कान्फ़्रैंस ना काम रही। सदर अमरीका बारक ओबामा ने कान्फ़्रैंस में बोहरान को दूर करने के लिए अव्वलीन तर्जीह इक़दामात पर ज़ोर दिया। आलमी सतह पर दरपेश मसाइल में सब से संगीन और नाज़ुक मसला मआशी बोहरान का ही है तो आलमी क़ाइदीन कोई ठोस फ़ैसला और इक़दामात या हिक्मत-ए-अमली वज़ा करने की ज़रूरत थी।

ये सूरत-ए-हाल आलमी मईशत के लिए सिलसिला वार बोहरानों को जन्म दे तो इस से हालात मज़ीद दिगरगुं होंगी। एक के बाद दीगर बोहरानों से दद्दू चार यूरोप को अब यूनान के हालात पर तशवीश पैदा हुई है। यूनान की इक़तिसादी तौर पर मदद करने के लिए अगर यूरोप तैय्यार हो जाय तो इस से यूरोज़ोन बोहरान से बाहर निकलने में कई ख़तरात पैदा होंगी।

इस तरह के हालात को देख कर ही वज़ीर-ए-आज़म ने वाज़िह करदिया कि आलमी बोहरान के बावजूद हिंदूस्तान अपनी मआशी पालिसीयों में तबदीली नहीं लाएगा। जी 20 ममालिक के दरमयान अगर राहत के इक़दामात करदिए जाएं तो आलमी और योरोपी मआशी पंडितों को भी यूरोज़ोन के मसला पर किसी नतीजा पर पहुंचने में मदद मिलेगी। हिंदूस्तान को यूरोज़ोन और यूनान के बोहरान से पैदा होने वाली बड़ी तबदीलीयों के ताल्लुक़ से तशवीश होना लाज़िमी है क्योंकि योरोपी यूनीयन, हिंदूस्तान का सब से बड़ा तिजारती पार्टनर है और ये टैक्नालोजी-ओ-सरमाया बहाॶ का अहम ज़रीया भी है

अगर मौजूदा बोहरान की वजह से मालीयाती मार्किट उथल पुथल का शिकार हो जाय तो हिंदूस्तान को हासिल होने वाला सरमाया और टैक्नालोजी पर असर पड़े गा। इस तनाज़ुर में वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह की पेश करदा तजावीज़ भी ख़ुसूसी एहमीयत रखते हैं। जी 20 ममालिक के दरमयान टैक्स राहतों को राइज करदिया जाई। इस से क़बल लंदन में मुनाक़िदा G-20 चोटी कान्फ़्रैंस में बैंक के राज़ को ख़तन करदेने का अह्द किया गया था अगर जी 20 चोटी कान्फ़्रैंस के इस जज़बा पर अमल किया जाय तो हालात में तबदीली लाई जा सकती है।

हिंदूस्तान में काले धन के मसला पर सयासी तन्क़ीदों के दरमयान वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आलमी सतह पर बैंकिंग डाटा पर तवज्जा दिलाई है। टैक्स की चोरी और सरमाया मार्किट में नाजायज़ दौलत के बहाॶ का पता चलाने के लिए बाक़ायदा जांच पड़ताल ज़रूरी है। हिंदूस्तान ने टैक्स मालूमात की फ़राहमी और हिस्सादारी के लिए पहले ही मुआहिदे किए हैं। वज़ीर-ए-आज़म की ये बात दरुस्त है कि टैक्स चोरी और नाजायज़ दौलत के सरमाया मार्किट पर मनफ़ी असरात पड़ते हैं। इस की वजह से मईशत को संगीन मसाइल पैदा होते हैं।

इस लिए इन का एक मुतालिबा ये भी था कि अगर आलमी ताक़तें ऐसी सरगर्मीयों पर क़ाबू पाने के लिए एक मज़बूत पयाम दें तो सूरत-ए-हाल में किसी हद तक बेहतरी आसकती है। इस लिए जी 20 ममालिक को टैक्स से मरबूत मालूमात के तबादले से इत्तिफ़ाक़ करना होगा। आरिज़ी या मस्नूई इक़दामात से गुरेज़ करते हुए ठोस इक़दामात किए जाएं तो टैक्स चोरी या टैक्स की धोका दही को रोका जा सकता है इस में शक नहीं कि कीन्स की G-20 चोटी कान्फ़्रैंस ने मुल्की सरहदों से बाहर टैक्स को छिपाने के अमल को रोकने पर मुआहिदा तै किया है इस मुआहिदा पर अमल दरआमद से कई ममालिक के ख़ज़ानों में करोड़ों डालर का इज़ाफ़ा मुम्किन है।

ऐसे में बैन-उल-अक़वामी मालीयाती फ़ंड को भी अपना रोल अदा करने के लिए दो क़दम आगे आना होगा। बैन-उल-अक़वामी मालीयाती फ़ंड और आई ऐम एफ़ दोनों को यूरोप के मआशी बोहरान और कर्ज़ों की सूरत-ए-हाल से मुनासिब तरीक़ों से निमटने के लिए अपनी देरीना तजुर्बात से इस्तिफ़ादा के साथ नए उसूलों को इख़तियार करने होंगी। हिंदूस्तान को भी द्रोण ख़ाना ऐसे हालात पैदा करने होंगे जिस के बाद सरमाया दारों को टैक्स चोरी से बचने और बैरूनी बैंकों में सरमाया जमा करने की नौबत ना आई। हुकूमत की पालिसीयां ऐसी होनी चाहीए जिस से सरमाया दारों को हिंदूस्तान में ही सरमाया लगाने की हौसलाअफ़्ज़ाई होसके।