‘जुमला’ साबित होगा नोटबंदी से काले धन खत्म करने का पीएम का दावा!

इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 14.5 लाख करोड़ रद्द हुए रुपयों में से 8 लाख करोड़ रूपए बैंक में वापस जमा हो चके हैं| एक आकलन के मुताबिक 500 और 1000 रुपए के नोटों का 60 प्रतिशत हिस्सा बैंकों में वापस आ गया है और बाकी भी आने वाले दिनों में आने की उम्मीद है। ऐसे में कई लोग सरकार के नोटबंदी के फैसले पर सवाल उठाते हुए उसे गलत बता रहे हैं। लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने का सरकार का फैसला कारगर साबित नहीं हो रहा है।

बैंकरों और विश्लेषकों का मानना है कि 30 दिसबंर तक बंद किए गए नोटों का 90 से 95 प्रतिशत हिस्सा वापस बैंकों में आ जाएगा जिन्हें बाद में लोग निकाल भी सकेंगे और ऐसे में वह पैसा फिर से सफेद हो जाएगा। एक विदेशी संस्थागत निवेशक ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया है कि लगभग दस दिन पहले ही सरकार को पता लग चुका है कि भारी मात्रा में 500 और 1000 रुपए के नोट बैंकों में फिर से जमा करवाए जा रहे हैं। इनकम टैक्स द्वारा बनाई गई स्कीम से ज्यादा संपत्ति वाले लोग सरकार की आंखों में धूल झोंककर अपने पैसे को सफेद करने के तरीके निकाल रहे हैं।

हालांकि, सरकार की तरफ से कई नियम और कानून बनाए गए हैं जिनसे बताए गए आय के स्त्रोतों से ज्यादा की रकम जमा करवाने वाले को पकड़ा जा सकेगा। सरकार ने कई नियमों में बदलाव भी किए हैं। काले धन को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में संसोधित इनकम टैक्स बिल पास करवाया गया। नए बिल के जरिए सरकार अघोषित नकदी पर ज्यादा जुर्माना और टैक्स लगाएगी। सरकार ने ऐसे ही मौके पर फीफ्ती-फीफ्ती स्कीम लाई है। इस स्कीम के तहत 30 दिसंबर तक अघोषित पुराने नोटों में नकदी बारे में स्वेच्छा से घोषणा पर 50 प्रतिशत टेक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया है। अगर यही बात इन्कम टेक्स ऑफिसर के मालूम होने पर अघोषित संपत्ति पर उच्चतम 85 प्रतिशत तक टेक्स लगाया जा सकता है।

क्या कहता है रिजर्व बैंक का डाटा

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डाटा के मुताबिक 10 नवंबर से 27 नवंबर तक सभी बैंकों से कुल 844,982 करोड़ रुपए जमा और बदलवाए गए हैं।
इसमें से 33,948 करोड़ रुपए बदलवाए गए हैं और 811,033 करोड़ रुपए जमा करवाए गए हैं। वहीं रिजर्व बैंक की 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि 31 मार्च 2016 तक 500 और 1000 की कुल 14,17,950 करोड़ रुपए की राशि बाजार में थी।

नोटबंदी के इस पूरे कवायद में अब तक 80 लोगों की जान चली गयी है। देश के छोटे कारोबार और खुदरा व्यापार पर इसका सबसे बुरा असर पड़ा है। इस पूरे खेल में हजारो लोगों की जान गई, नौकरी गई, जिनकी आजीविका छिन गई है। ऐसे में देश की जनता के मन में यह सवाल जरुर कौंधेगा कि कालाधन रोकने के नाम पर जो नोटबंदी का फैसला ठोपा गया आखिर वो कितना कारगर हुआ।