जेएनयू : पीएचडी में दाखिले के लिए यूजीसी के नए नियम का हो रहा है कड़ा विरोध

नई दिल्ली, ग़ुलाम हुसैन। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एम फिल और पीएचडी कोर्स में दाखिले के लिए यूजीसी द्वारा पारित किये गए नए रेगुलेशन का विरोध करती छात्रा अनुभूति न कहा की अभी तक तीस प्रतिसत अंक वाइवा के लिए है और बाकी सत्तर प्रतिसत अंक लिखित परीक्षा के लिए तब भी छात्रों के साथ इंटरव्यू के दौरान भेदभाव होता है , अगर इंटरव्यू को ही सौ प्रतिसत और लिखित परीक्षा को केवल क्वालीफाइंग के तौर पर रखा जाएगा तब हम जैसे गैर अभिजात वर्ग के लोगों का तो प्रवेश पाना नामुमकिन हो जायेगा। क्योंकि हमें प्रारम्भ में बेहतर शिक्षा नहीं मिली है, हम इंटरव्यू के दौरान अंग्रेजी नहीं बोल पाते और फिर जात, धर्म, विचार इत्यादि के आधार पर भी भेदभाव होता है। उन्होंने स्वंय का उदहारण देते हुए कहा की उन्हें लिखित परीक्षा में सत्तर में से पचास से अधिक नंबर आये थे परंतु इंटरव्यू में दस से भी काम अंक मिले। अनुभूति सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज से पीएचडी कर रही हैं और वह 2013 में छात्र संघटन की उप आद्यक्ष भी रही हैं। विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में एम ए कर रही प्रथम वर्ष की एक छात्रा ने कहा की यूजीसी ने क्वालीफाइंग शब्द को जानबूझ कर जोड़ा है। इंटरव्यू के लिए तीस मार्क्स भी पूरी तरह गलत है और अब यह सौ प्रतिसत का करना तो समाज के आखरी व्यक्ति से सीधा सीधी यह कहना की आप को शिक्षा ग्रहण करने का हक़ नहीं है। यह लोग एस टी, एस सी, ओबीसी को रिज़र्व सीट तक ही सिमित रखना चाहते हैं। निचे तबकों में बढ़ रही शिक्षा की भूख से यह लोग परेशान हैं।

कमज़ोर हुआ है छात्र संघटन

जेएनयू में पिछले छह महीने के तमाम घटना चक्र पर ध्यान दिलाते हुए एक छात्र रविन्द्र विक्रम ने कहा की नया रेगुलेशन पूरी तरह छात्र विरोधी है। यह भेदभाव करने का सीधा रास्ता है जबकि संसथान को चाहिए की वह कम से काम गुंजाइस छोड़ें भेदभाव का , उन्होंने आगे कहा की पिछले छह महीने से छात्र एकता को बिखरने की साजिस रची जा रही है। छात्रों का नजीब के केस में एकजुट न हो पाना इसका उदहारण है और अब इस मुद्दे पर भी तम्माम छात्र अलग अलग विरोध कर रहे हैं। छात्रों का एक मंच पर आना बेहद ज़रूरी है वरना हम यह लड़ाई नहीं जीत पाएंगे।

विरोध में भूख हड़ताल

एबीवीपी की और से इस रेगुलेशन के विरोध में भूख हरताल में बैठे सौरभ कुमार शर्मा कहते हैं की मोदी जी बोल रहे है की क्लास थर्ड में, फोर्थ में इंटरव्यू नहीं होना चाहिए और यंहा विश्वविद्यालय में इंटरव्यू ला कर भेदभाव को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा की नाफे समिति ने भी कहा था की इंटरव्यू में भेदभाव होता है और अब अगर इंटरव्यू को ही प्रवेश के लिए मुख्य द्वार बना दिया जाएगा तब यह तो अन्याय होगा। वंही आइसा के छात्र नेता विजय ने कहा की इस संद्रभ में नाफे समिति तीसरी समिति है, जिसने इंटरव्यू में लापरवाही को स्वीकार था, तब से हम इस तीस प्रतिसत अंक को पंद्रह से दस के बिच रखने की मांग कर रहे हैं परंतु इसके उलट यूजीसी का यह कदम घोर समाज विरोधी है क्योंकि यहां समाज के हर तबके से बच्चे आते हैं और हर कोई इंटरव्यू में अच्छा नहीं कर सकता। कई तो जीवन में पहली दफा इंटरव्यू दे रहे होते हैं।

विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर सवाल

विश्वविद्यालय पर यह रेगुलेशन को थोपना जेएनयू की नौ फरवरी से भी बड़ी घटना मान रहे हैं छात्र नेता उमर खालिद का कहना है की यह सरकार सभी संस्थानों में पहले तो अपने डायरेक्टर और वीसी बैठाए और अब यह छात्रों के रूप में भी अपने लोग भेजना चाहती है। यह ग़रीबों और कमज़ोरों को पढ़ने नहीं देना चाहती है। यह नया रेगुलेशन पूरी तरह शिक्षा से वंचित समाज को और दूर धकेलने की चाल है। इस सरकार ने भी शिक्षा बचट को कम करने में ज़रा भी देर नहीं की, उलटे दूसरे सरकारी संस्थानों की फीस बढ़ रही है। इन्हें शिक्षा का महत्व नहीं पता है। जेएनयू के नए वीसी को आये अभी एक साल हुए हैं और यह सब उनके द्वारा किया जा रहा सरकारी हमला है। हमारे वीसी अभी यूजीसी के एक्टिंग हेड हैं और यह सब वह तभी कर पा रहे हैं। छत्रों के विरोध पर वह बेहद बेवकूफाना जवाब देते हैं की यह यूजीसी का फरमान है जबकि विश्वविद्यालय की अपनी स्वायत्तता होती है, वह स्वंय प्रवेश के लिए नियम बना सकता है। छात्र संघटन के कमज़ोर पड़ने के सवाल पर उमर ने कहा की घटना के स्वाभव की वजह से ऐसा लगता है मगर ऐसा हरगिज़ नहीं है। हम इस मुद्दे पर पुरे छात्रों को एक साथ लाएंगे और इसे वापस कर वाएँगे। प्रॉक्टर के लगतार इस्तेफे की घटना के संद्रभ में उमर का कहना है की प्रॉक्टर की ईमानदारी से कार्य करने की वजह से उन पर दबाव बनाया जाता है इसलिए वह मजबूर हो कर इस्तीफा देते हैं परंतु नयी प्रॉक्टर विभा टंडन छात्र विरोधी रही हैं तो अब इनका इस्तीफा नही आएगा।
जेएनयू के एडमिशन डायरेक्टर प्रो मिलाप पूनिया ने कहा की अभी यूजीसी से बातचीत चल रही है इसलिए वह इस संद्रभ अभी कुछ नहीं कह सकते हैं और छह तक जेएनयू का प्रॉस्पेक्टस आना है इसके बाद ही वह इस विषय पर बात कर पाएंगे।